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ग़ज़ल - अजब मासूम है क़ातिल हमारा ( गिरिराज भंडारी )

1222    1222   122
वो दहशत गर्द है या मुस्तफ़ा है

क्या तुमने फैसला ये कर लिया है ?

 

अजब मासूम है क़ातिल हमारा

वो ख़ूँ बारी से अब दहशत ज़दा है

 

तमाशाई के सच को कौन जाने ?

वो सच में मर रहा है, या अदा है

 

वो सारी ख़ूबियाँ पत्थर की रख कर

किया है मुश्तहर... वो.. आइना है

 

कज़ा से बस कज़ा की बात होगी

हमारा बस यही इक फैसला है

 

बहुत दूरी नहीं है, पर चला जो

कभी मस्ज़िद से मन्दिर... हाँफता है

 

डरो मत बस हवायें तेज़ हैं कुछ

ख़बर झूठी है पीछे जलजला है

***************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment by नाथ सोनांचली on July 9, 2017 at 7:34pm
आद0 गिरिराज जी सादर अभिवादन, बहुत खूबसूरत ग़ज़ल। दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।
Comment by Ravi Shukla on July 9, 2017 at 2:24pm
आदरणीय गिरिराज भाई जी मंच पर पुनः सक्रिय हो रहे हैं हम ।कोशिश होगी फिर से पहले की तरह समय दे पाए आपकी ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत मुबारकबाद आपका खास अंदाज ग़ज़ल में नजर आ रहा है आखरी शेर के लिए अलग से बधाई स्वीकार करें बहुत-बहुत मुबारकबाद
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 8, 2017 at 11:21pm
शानदार ग़ज़ल हुई आदरणीय..सादर
Comment by Samar kabeer on July 8, 2017 at 7:02pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
मतले के ऊला मिसरे में 'मुस्तफ़ा'शब्द आपने सिर्फ़ एक नाम की तरह लिया है,या उसके अर्थ के साथ ?बाक़ी ग़ज़ल आपके मख़सूस अंदाज़ में ही है ।
एक निवेदन ये है कि कृपया पटल पर अपनी सक्रियता दिखाएँ,ये हमारी ज़िम्मेदारी है ।
Comment by Neeraj Neer on July 8, 2017 at 3:29pm

बेहतरीन बेहतरीन .... 

Comment by Sushil Sarna on July 8, 2017 at 3:12pm

कज़ा से बस कज़ा की बात होगी
हमारा बस यही इक फैसला है

बहुत दूरी नहीं है, पर चला जो
कभी मस्ज़िद से मन्दिर... हाँफता है.... वाह आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब ... बहुत ही दिलकश ग़ज़ल के पेशकश हुई है ... दिल से बधाई कबूल फरमाएं सर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 8, 2017 at 1:56pm
आ. भाई गिरिराज जी सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल हुई है, हार्दिदिक बधाई ।
Comment by Mohammed Arif on July 8, 2017 at 7:42am
आदरणीय गिरिराज जी आदाब, बेहतरीन,लाजवाब ग़ज़ल । हर शे'र माकूल । दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

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