For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक हांडी दो पेट(लघुकथा)
हाई स्कूल के बाद, उसके आगे न पढ़ने के ऐलान करने पर माँ ने जोर देते हुए कहा,"बेटा!बिना पढ़ाई के आज कोई इज्जत नहीं है।तुझे यह कितनी बार समझाऊँ?"
पिता ने जोड़ा,"ठीक कह रही है तेरी माँ।"
वह झल्ला कर बोली,"माँ,बापू मेरे बस का नहीं है पढ़ना।ज्यादा धक्का ना करो।क्या कर लूँगी पढ़ के मैं?"
पिता बोले,"पढ़-लिख जावेगी तो अपने पैरों पर खड़ी हो सकेगी।किसी की तरफ देखना न पड़ेगा।जिंदगी में तेरे काम आवेगी पढ़ाई।"
"अच्छा!",उसने मुँह बनाया।
"बेटा!मैं ना पढ़ पायी मने इस बात का मलाल है।बड़ी समझायी थी मेरे बाप-भाइयाँ ने।मैं चाहूँ हूँ कि मेरी बेटी मेरी तरह ना पछतावे।"
"मतलब मैं ना पढूँगी तो पछताऊँगी?",उसने फिर चुटकी ली।
फिर बदहाल-सी हालत में पोछा लगा रही अपनी शिक्षित भाभी की तरफ़ देखा और बोली,"अरी माँ!जरूरी तो नहीं कोई मने मेरे पैरों पर खड़ा होने देगा,आगे क्या पता लगाम किन हाथों में हो? बढ़िया तरह पढ़-लिखकर भी पछताना ही पड़ेगा.."
माँ और पिता भी बहू की तरफ देखने लगे।
वह झट से बोली,"इससे खरा तो है कि मैं भी तेरी तरह बिना पढ़े ही पछता लूँगी।"
दोनों चुप थे,और दोनों के चेहरे पर पछतावा नजर आ रहा था।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1217

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 15, 2017 at 5:17pm
आदरणीय आशुतोष जी,रचना प्रयास को समय देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत-बहुत हार्दिक आभार!सादर नमन!
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 15, 2017 at 4:42pm

आदरणीय सतविंदर जी बढ़िया रचना समाज को आइना दिखती हुयी ..दोगले पण को बहुत ही खूबी से चित्रित किया है आपने शब्दों के माध्यम से इस रचना के लिए ढेर सारी बधाई सादर 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 15, 2017 at 4:10pm
आदरणीया राहिला आसिफ जी,प्रयास के मर्म तक पहुँचकर, उत्साहवर्धन करने के लिए सादर हार्दिक आभार,नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 15, 2017 at 4:08pm
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी सादर नमन!,प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक आभार!आदरणीय महेंद्र जी की शंका के समाधान में उत्तर दे ही चुका हूँ,सादर!
Comment by Rahila on May 15, 2017 at 2:16pm
बहुत सुन्दर,एक ही इन्सान दो अलग ,अलग लोगों के लिए किस तरह से दो मुंह ,और दोहरी सोच के हो जाते हैं इस विषय को लेकर बहुत शानदार रचना। बधाई
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 15, 2017 at 2:13pm
आदरणीय महेंद्र कुमार जी ,अनुमोदन एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत हार्दिक आभार।
आदरणीय हरियाणवी में एक कहावत है यह,जिसका अर्थ है दोहरे मापदंड।जो इस परिवार में बेटी और बहू के मामले में दिख रहे हैं।सादर
Comment by Mohammed Arif on May 15, 2017 at 9:06am
आदरणीय सतविंद्र जी आदाब, बेहतरीन लघुकथा । शीर्षक को लेकर मैं आदरणीय महेंद्र कुमार जी की बात से सहमत हूँ । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 8:54am

आदरणीय सतविन्द्र जी, स्त्रियों की दीं दशा को केन्द्रित कर बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने. मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आपके शीर्षक को मैं कथा के हिसाब से जोड़ नहीं पाया. यदि आप स्पष्ट कर देंगे तो अति कृपा होगी. सादर. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service