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यादें......

यादें !

आज पर भारी
बीते कल की बातें

वर्तमान को अतीत करती
कुछ गहरी कुछ हल्की
धुंधलके में खोई
वो बिछुड़ी मुलाकातें

हाँ !
यही तो हैं यादें

ये भीड़ में तन्हाई का
अहसास कराती हैं
आँखों से अश्कों की
बरसात कराती हैं
सफर की हर चुभन
याद दिलाती हैं
जब भी आती हैं
ज़ख़्म कुरेद जाती हैं
अहसासों के शानों पर
ये कहकहे लगाती हैं
ज़हन की तारीकियों में
ये अपना घर बनाती हैं
पलकों के दरीचों में
ये बेरोकटोक आती हैं
दीद-ओ-दिल पर ये
हर लम्हा राज करती हैं


इनमें
हकीकत की तासीर होती है
टूटे ख़्वाबों की जागीर होती है
रिश्तों की दरकती दीवारें
अपने वजूद को तरसती हैं
हकीकत के अब्र से
यादें
अंगारों सी बरसती हैं
वर्तमान का हर पल
इनकी आगोश में सो जाता है
यादों का कारवाँ
वक्त की नुकीली सुइयों पर बैठ
अपनी जीत का
परचम फहराता है


इंसान
आगाज़ से अंजाम तक
यादों के संग जीता है
यादों के संग मर जाता है
यादों के फ्रेम में
वो
खुद
इक याद बन जाता है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 550

Comment

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Comment by Sushil Sarna on March 22, 2017 at 8:26pm

आदरणीय   लक्ष्मण रामानुज लडीवाला  जी  प्रस्तुति के मर्म को अपने सहमति देते लफ़्ज़ों से मान देने का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 22, 2017 at 2:55pm

इंसान 
आगाज़ से अंजाम तक 
यादों के संग जीता है 
यादों के संग मर जाता है 
यादों के फ्रेम में 
वो 
खुद 
इक याद बन जाता है --- सत्य कहाँ आपने साहब | एक दिन इंसान खुद याद बन जाता है | सुंदर रचना के लिए बधाई 

Comment by Sushil Sarna on March 20, 2017 at 5:35pm

आदरणीय  Tasdiq Ahmed Khanजी  प्रस्तुति के मर्म को अपने सहमति देते लफ़्ज़ों से मान देने का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on March 20, 2017 at 5:33pm

आदरणीय    Mohammed Ari जी  प्रस्तुति के मर्म को अपने सहमति देते लफ़्ज़ों से मान देने का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 19, 2017 at 7:39pm

मुहतरम जनाब सुशील सरना साहिब , यादों की अच्छी मंज़र काशी करती हुई सुंदर
रचना के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ---

Comment by Mohammed Arif on March 19, 2017 at 6:34pm
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, सचमुच आदमी जीवन की खट्टी-मीठी यादों के सहारे ही जीता है । वह हरपल अपने साथ किसी न किसी याद का एलबम साथ लेकर ही चलता है । थोड़ा एकाकीपन मिला नहीं कि वह अपनी यादों का एलबम खोलकर उसमें खो जाता है । बहुत अच्छी रचना । बधाई स्वीकार करें ।

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