For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (हसीनों में मुहब्बत ढूंढता है )

(मफ़ाईलुन-मफ़ाईलुन-फऊलॅन)

हसीनों में मुहब्बत ढूंढता है |

ज़मीं पर कोई जन्नत ढूंढता है |

दगा फ़ितरत हसीनों की है लेकिन

कोई इन में मुरव्वत ढूंढता है |

समुंदर से भी गहरी हैं वो आँखें

जहाँ तू अपनी चाहत ढूंढता है |

मिलेगा तुझको असली लुत्फ़ गम में

फरह में क्यूँ लताफत ढूंढता है |

हैं काग़ज़ के मगर हैं खूबसूरत

तू जिन फूलों में नकहत ढूंढता है |

सियासी लोग होते हैं फरेबी

कहाँ उन में सदाक़त ढूंढता है |

लगाएँ हम कहाँ तस्दीक़ दिल को

ये चेहरा खूबसूरत ढूंढता है |

.

( मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 8, 2017 at 8:47pm

मुहतरम नीलेश नूर साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाइ का
बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2017 at 8:30am

बहुत खूब ..
बधाई 

Comment by Mahendra Kumar on March 7, 2017 at 10:12pm
बहुत ख़ूब आ. तस्दीक़ जी। बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 7, 2017 at 7:40pm

मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाइ
का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी -

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 7, 2017 at 7:40pm

मुहतरम जनाब गिरिराज साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाइ
का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी --मशवरे का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 7, 2017 at 7:36pm

मुहतरम जनाब रवि साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाइ
का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी --

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 7, 2017 at 7:35pm

मुहतरम जनाब आशुतोष साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाइ
का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी --
फरह ---खुशी , लताफत --मज़ा , नकहत-खुश्बू , सदाक़त --सच्चाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2017 at 3:28pm

आदरनीय तस्दीक भाई , बेहतरीन गज़ल हुई है , सभी अशआर बेहद खूब हुये हैं , बधाइयाँ स्वीकार करें ।

हैं काग़ज़ के मगर हैं खूबसूरत   -- इस मिसरे को ऐसे कहें तो भाव सही आयेगा -

ये हैं तो खूब, लेकिन कागज़ी हैं

तू जिन फूलों में नकहत ढूंढता है    --

Comment by Ravi Shukla on March 7, 2017 at 11:56am

बहुत बढि़या गजल कही आदरणीय तसदीक साहब हर शेर पर दाद हाजिर है । मुबारक

Comment by Mohammed Arif on March 6, 2017 at 10:51pm
वाह!वाह!!वाह!!!बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आली जनाब मोहतरम तस्दीक़ अहमद साहब ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service