For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिन्दी गीतिका...​साँसों का तरपन कर दूँ

22 22 22 22 22 22 22
रम जाओ अंतस में जीवन मधुरम चन्दन कर दूँ
जो तुम झाँको आँखों में आँखों को दरपन कर दूँ

तुम बिन जीवन मिथ्या है साँसों का आना जाना
बस जाओ मम साँसों में साँसों को अरपन कर दूँ

कल देखा था ख्वाबों में दुल्हन सी तुम मुस्काईं
पलकों में आ बस जाओ सपनों का तरपन कर दूँ

प्यासी धरती प्यासा अम्बर प्यासा है उर आँगन
छा जाओ बन के बदली मरुथल को मधुबन कर दूँ

​​पलकों में आकुल आँसू बहने को व्याकुल आँसू
बन साथी झरते आँसू पतझर को सावन कर दूँ
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 609

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 8, 2017 at 10:08pm
आदरणीय महेंद्र कुमार जी रचना पटल पे आपका हार्दिक स्वागत है..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 8, 2017 at 10:07pm
आदरणीय मुहम्मद आरिफ जी सुन्दर शब्दों में उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक अभिनन्दन वंदन..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 8, 2017 at 10:05pm
आदरणीय नीलेश जी देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ..हिन्दी शब्दों को लेकर लिखी गई ग़ज़ल को ही गीतिका कहते हैं..आजकल कई लोग इस शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं..हिन्दी के हिसाब से जो शब्द लिखे वो अशुद्ध हैं..इस ओर ध्यानाकर्षित करने के लिए आपका हार्दिक आभार हालाँकि उच्चारण देखा जाये तो शब्द उचित ही है..जहाँ तक मेरी जानकारी है दर्पण को दर्पन लिखा जा सकता है..सादर
Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2017 at 8:26am

भाई जी!!
ये हिंदी गीतिका कौन सी विधा है विस्तार पूर्वक समझाने का कष्ट करें... मुझे तो ये ग़ज़ल ही नज़र आ रही है ..बहुत से बहुत हिंदी ग़ज़ल कह सकते हैं इसे ...
अब चूँकि हिंदी में है तो अर्पण को अरपन, तर्पण को तरपन और दर्पण को दरपन लिखना अमान्य है साथ ही चन्दन का ण वर्ण से काफिया भी ठीक नहीं है ...
विचार कीजियेगा ..
सादर 

Comment by Mahendra Kumar on March 7, 2017 at 10:14pm
बढ़िया ग़ज़ल कही आ. बृजेश भाई। हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by Mohammed Arif on March 6, 2017 at 10:48pm
आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब, उमदा ग़ज़ल के लिए शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 6, 2017 at 9:54pm
हृदयतल से आभार आदरणीय डा. साहब
Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 6, 2017 at 10:47am

आदरणीय ब्रिजेश जी रचना पर हार्दिक बधाई सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service