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ग़ज़ल -आग किसने लगायी थी घर की-- ( गिरिराज भंडारी )

2122    1212    22

गर वो करता है बात बेपर की ?

क्या ज़रूरत नहीं है पत्थर की

 

क्या हुकूमत लगा रही है अब ?

कीमत उस फतवे से किसी सर की 

 

सिर्फ तहरीर में मिले भाई

सुन कहानी तू दाउ- गिरधर की

 

जिनके अजदाद आज ज़िन्दा हों  

वो करें बात गुज़रे मंज़र की

 

क्या मुहल्ला तुझे बतायेगा ?

आग भड़की थी कैसे उस घर की

 

दीन ओ ईमाँ की बात करता है

क्या हवा लग न पायी बाहर की

 

रोशनी आज उनको देखेगी

रुख़  से चिलमन अगर ज़रा सरकी

 

फेर कर देख मेरी गरदन पर

आजमा ले तू  धार तू ख़ंज़र की  

*************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment by Dr. Vijai Shanker on January 23, 2017 at 1:24am
जब भी गरीब ने बात की दो वक़्त के खाने पेट भर की।
रहनुमा सरे चिल्ला उठे बात मत कर बेसिर - पैर की।
आपको बधाई के साथ , आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , सादर।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 20, 2017 at 9:48pm
वाह बेहद उम्दा ग़ज़ल हुई आदरणीय ...
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 20, 2017 at 2:32pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब कमाल की ग़ज़ल हुयी है इस शानदार ग़ज़ल पर तहे दिल बधायी स्वीकार करें सादर

Comment by जयनित कुमार मेहता on January 20, 2017 at 5:32am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई आपको।
Comment by Samar kabeer on January 19, 2017 at 10:54am
आख़री शैर के सानी में "तू"शब्द दो बार टाइप हो गया है ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 19, 2017 at 9:45am

आदरणीय सुशील भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 19, 2017 at 9:44am

आदरणीय समर भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार । आपकी इस्लाह के अनुसार सुधार कर रहा हूँ , आपका ःरदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 19, 2017 at 9:41am

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 19, 2017 at 9:41am

आदरणीय मिथिलेश भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका ह्र्दय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 19, 2017 at 9:39am

आदरणीया राजे जी , हौसला अफज़ाई का शुक्रिया । आपकी इस्लाह अच्छी लगी , सुधार कर लूँगा । आभार आपका ।

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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