For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल(तुम सदा मुस्कराना नये साल में )

ग़ज़ल(तुम सदा मुस्कराना नये साल में )
-----------------------------------------------------
(फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन)

क़ौले उलफत निभाना नये साल में |
मुझ को मत भूल जाना नये साल में |

क्यूँ हैं बाहर खड़े घर में आ जाइए
कीजिए मत बहाना नये साल में |

हाथ ही मिल सके अपने बीते बरस
दिल को दिल से मिलाना नये साल में |

इक कॅलंडर नया घर की दीवार पर
है ज़रूरी लगाना नये साल में |

सिर्फ़ गमगीन आशिक़ की ख्वाहिश है यह
तुम सदा मुस्कराना नये साल में |

फिर से हो जाए या रब दुआ है मेरी
उनके घर आना जाना नये साल में |

अब तो तस्दीक़ हद हो चुकी ज़ुल्म की
तुम क़लम को उठाना नये साल में |

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 784

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 2, 2017 at 10:16pm

मुहतरम जनाब महेन्द्र कुमार साहिब , ग़ज़ल में गहराई शिरकत और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 2, 2017 at 10:10pm

मुहतरम जनाब गोपाल नारायण साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 2, 2017 at 8:28pm
आदरणीय तस्दीक़ जी नए साल पर तमाम अपेक्षाएं करती इस ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें
Comment by Samar kabeer on January 2, 2017 at 8:19pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,नये साल की आमद पर अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं ।
मतले के ऊला मिसरे में "क़ोल"शब्द भी उन्हीं शब्दों में शुमार होता है जिसमें इज़ाफ़त नहीं लगती,मिसरा यूँ कर सकते हैं:-
'क़ोल अपना निभाना नये साल में'
पांचवें शैर के ऊला मिसरे में 'सिर्फ़'शब्द अच्छा नहीं लग रहा,उसकी जगह "एक"शब्द रखने से मिसरा रवानी में आ जायेगा:-
'एक ग़मगीन आशिक़ की ख़्वाहिश है ये'
Comment by Mahendra Kumar on January 2, 2017 at 3:38pm
नये साल पर बहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखी है आपने आदरणीय तस्दीक़ जी। मेरी तरफ से हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 1, 2017 at 10:18pm

आ०  तस्दीक भाई , बहुत बढ़िया

अब तो तस्दीक़ हद हो चुकी ज़ुल्म की
तुम क़लम को उठाना नये साल में

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं हम कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२जब जिये हैं दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं हम कान देते आपके निर्देश हैं…See More
56 minutes ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service