For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- मिल गया है आपका वह ख़त पुराना शुक्रिया

2122 2122 2122 212
मिल गया है आपका वह ख़त पुराना शुक्रिया ।
याद आया फिर मुझे गुज़रा ज़माना शुक्रिया ।।

ढल गई चेहरे की रौनक ढल गया वह चाँद भी ।।
हुस्न का अब होश में आकर बुलाना शुक्रिया ।।

कुछ अना के साथ में नज़रों की वो तीखी क़सिस।
बाद मुद्दत के तेरा यह दिल जलाना ,शुक्रिया ।।

मुस्तहक़ थी आरजू पर हो सकी कब मुतमइन ।
वक्त पर आवाज देकर यूँ बुलाना शुक्रिया ।।

जिक्र कर लेना मुनासिब है नहीं इस दौर में ।
फिर गमे उल्फ़त का देखो लौट आना, शुक्रिया ।।

यह गुलाबी पंखुड़ी खत में मिली सूखी हुई ।
दे दिया है इश्क का फिर से फ़साना शुक्रिया ।।

थी कहीं मजबूरियां तो सच बता देती उसे ।
आसुओं का सुन लिया सारा तराना शुक्रिया ।।

चुप रहा क़ातिल की बस्ती में सराफत देखिये ।
गैर के पहलू में जाकर मुस्कुराना शुक्रिया ।।
नवीन
मौलिक अप्रकाशित

Views: 603

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 1, 2017 at 8:45pm
आदरणीय नवीन जी काबिले तारीफ़ इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई और नवबर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
Comment by Pankaj sagar on December 31, 2016 at 4:58pm
बहुत खूबसूरत सरजी
Comment by Naveen Mani Tripathi on December 30, 2016 at 4:49pm
आ0सुशील शर्मा जी सादर आभार ।
Comment by Sushil Sarna on December 30, 2016 at 3:05pm

मिल गया है आपका वह ख़त पुराना शुक्रिया ।

याद आया फिर मुझे गुज़रा ज़माना शुक्रिया ।।

ढल गई चेहरे की रौनक ढल गया वह चाँद भी ।।

हुस्न का अब होश में आकर बुलाना शुक्रिया ।।


वाह आदरणीय नवीन जी वाह बहुत ही खूबसूरत अहसासों को आपने लफ़्ज़ों में ढाला है। दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 30, 2016 at 10:47am
आ0 श्याम नारायण वर्मा साहब विशेष आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on December 30, 2016 at 10:46am
आ मिथिलेश सर आपके इस स्नेह हेतु सादर आभार ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2016 at 12:23am

आदरणीय नवीन मणी जी, बहुत बढ़िया गज़ल कही है आपने. दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर 

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 29, 2016 at 4:17pm
आ0 कबीर सर सादर नमन । जब तक आप ग़ज़ल तक नहीं पहुचते तब तक मन लगा रहता है ।
Comment by Shyam Narain Verma on December 29, 2016 at 3:59pm

बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को

Comment by Samar kabeer on December 29, 2016 at 3:00pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
तीसरे शैर में'क़सिस'को "कशिश"कर लें ।
सातवें शैर में 'आसुओं'को "आँसुओं" कर लें ।
और आख़री शैर में 'सराफत' को "शराफ़त" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service