For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- ख़त मेरा दिल से लगाकर देखिये

2122 2122 212

चाँद को महफ़िल में आकर देखिये ।
इक ग़ज़ल मेरी सुनाकर देखिये ।।

गर मिटानी हैं जिगर की ख्वाहिशें ।
इस तरह मत छुप छुपाकर देखिये ।।

ये रक़ीबों का नगर है मान लें ।
इक रपट मेरी लिखाकर देखिये ।।

हुस्न पर पर्दा मुनासिब है नहीं ।
बज़्म में चिलमन उठाकर देखिये ।।

क्यों फ़िदा हैं लोग शायद कुछ तो है ।
आइने में हुस्न जाकर देखिये ।।

हैं हवाएँ गर्म कुछ् बेचैन मन ।
तिश्नगी थोड़ी बुझा कर देखिये ।।

आप के कहने से तौबा कर लिया ।
मैकदा से रूह लाकर देखिये ।।

फेसबुक से यूँ हटाना बस में था ।
अब जरा दिल से हटाकर देखिये ।।

सिर्फ इलज़ामो का चलता कारवाँ ।
फर्ज़ कुछ अपना निभाकर देखिये ।।

आप मेरे इश्क़ के काबिल तो हैं ।
हो सके तो दिल मिलाकर देखिये ।।

दीन हो जाए न ये बर्बाद अब ।
मत हमें नज़रें झुकाकर देखिये ।।

कत्ल होने का इरादा था मेरा ।
बेवज़ह मत आज़माकर देखिये ।।

धड़कने देंगी गवाही फ़िक्र की ।
खत मेरा दिल से लगाकर देखिये ।।

जख़्म का होता कहाँ मुझपर असर ।
तीर जितने हों चलाकर देखिये ।।

ताक में बैठे सभी ओले यहाँ ।
दम अगर है सर मुड़ाकर देखिये ।।

दर्द ये काफ़ूर हो जाए मिरा ।
कुछ रहम में मुस्कुरा कर देखिये ।।

-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 366

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on December 28, 2016 at 3:31pm
"मक़्ते पर और परिश्रम अपेक्षित है"
जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,इस ग़ज़ल में मक़्ता तो है ही नहीं ?ग़ज़ल के आख़री शैर को आप मक़्ता कह रहे हैं,आपकी जानकारी के लिये बतादूँ कि मक़्ता उस शैर को कहते हैं जिसमें शाइर अपना तख़ल्लुस इस्तेमाल करता है ।
Comment by Samar kabeer on December 28, 2016 at 3:22pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
सातवें शैर में "तौबा"स्त्रीलिंग है ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on December 27, 2016 at 9:43pm
आ0 गोपाल नारायण सर आपकी सलाह महत्वपूर्ण है । अमल करूँगा । सादर नमन ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 27, 2016 at 9:29pm

आ० नवीन जी , बढ़िया गजल हुयी है . आपसे एक गुजारिश है बहुत बड़ी गजल न लिखें . आप उसी रदीफ़ में दो  या तीन गजले लिख  सकते हैं  अधिक  शेर होने पर मेहनत बंट जाती है . मुझे आपकी गजल अच्छी लगी . मक्ते  पर और परिश्रम अपेक्षित है . सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
49 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service