For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है काँटों भरी प्रीत की ये डगर मन----ग़ज़ल

122 122 122 122

मना तो किया था न जाना उधर मन
चला इश्क़ की राह पर तू मगर मन

सुहाना सफ़र तो महज़ कल्पना है
है काँटों भरी प्रीत की ये डगर मन

निगाहों का तटबंध तो टूटना था
ये बादल तो बरसेंगे अब उम्र भर मन

मिलेंगे वफ़ा हुस्न इक साथ दोनों
ये ख्वाहिश भरम है कभी भी न कर मन

सितम खुद पे कर के किसे कोसता है
पिया तूने खुद चाहतों का ज़हर मन

सिखाया तो था त्याग में बस ख़ुशी है
हुआ ही नहीं बात का कुछ असर मन

मौलिक अप्रकाशित

23:33

23/11/2016

Views: 675

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 25, 2016 at 9:43pm
आदरणीय प्रमोदजी सादर अभिवादन और धन्यवाद
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 25, 2016 at 9:42pm
आदरणीय रामबली गुप्ता जी बहुत बहुत आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 25, 2016 at 9:41pm
आदरणीय गिरिराज सर बहुत बहुत आभार और सादर प्रणाम
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 25, 2016 at 9:40pm
आदरणीय बाऊजी संशोधन करता हूँ, सादर प्रणाम
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 25, 2016 at 9:40pm
आदरणीय सुनील जी सादर आभार
Comment by PRAMOD SRIVASTAVA on October 25, 2016 at 4:44pm

वाह भई क्या बात है पंकज जी ।बहुत  उम्दा गजल है।स्व पर केन्द्रित संवेदनशील रचना के लिये कोटिश बधाई ।

Comment by रामबली गुप्ता on October 25, 2016 at 12:31pm
वाह वाह क्या बात है भाई पंकज कुमार जी उम्दा ग़ज़ल कही आपने। मुबारकबाद कुबूल करें।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2016 at 11:31am

आदरणीय पंकज भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने , दिली बधाइयाँ स्वीकार करे । आ. समर भाई की सलाह पर गौर करियेगा ।

Comment by Samar kabeer on October 24, 2016 at 2:11pm
अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
पांचवे शैर के सानी मिसरे में 'तुमने' को "तूने" कर लें ।
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on October 24, 2016 at 9:47am
स्यवं को संबोधित कर सुंदर खयालों का सर्जन किया है आपने आदरणीय हार्दिक बधाई है इस सुंदर सी नाजुक ग़ज़ल के लिए।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
5 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
7 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service