For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल-सतविन्द्र कुमार राणा

बह्र:122 122 122 122
----
नहीं कम हुई मेरी उलझन किसी से
कहाँ मिल सका हूँ अभी तक खुदी से।

है गुरबत ने ओढ़ा ख़ुशी का ये चोला
बहकती है दुनिया लबों की हँसी से।

मुहब्बत बसाती है उनसब घरों को
उजाड़ा किसी ने जिन्हें दुश्मनी से।

मुलाकात होती जरूरी कभी तो
मुहब्बत बढ़ेगी तभी बानगी से।

चढ़ा जा रहा हूँ मैं गुस्से में खुद पर
*उतारे कोई कैसे मुझको मुझी से*।

सितारा करम का चमक जाए ‘राणा’
तो मिट जाए गम सब तेरी जिंदगी से।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 427

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 19, 2016 at 6:44am
आदरणीय सुरेश भाई जी आपका स्नेह यूँ ही बना रहे।सादर आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 19, 2016 at 6:43am
आदरणीय समर कबीर जी स्नेहिल सराहना के लिए तहेदिल शुक्रिया।सादर नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 19, 2016 at 6:42am
आदरणीय रवि शुक्ल जी प्रोत्साहन हेतु तहेदिल आभार सँग नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 19, 2016 at 6:41am
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ भाई साहब सादर हार्दिक आभार।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 19, 2016 at 6:39am
आदरणीय श्याम नारायण जी,अनुमोदन एवं प्रोत्साहन के लिए सादर आभार!
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 18, 2016 at 12:57pm
आदरणीय सतविंदर भाई जी बहुत ही सुन्दर एवं खूबसूरत गजल के लिए हार्दिक बधाई । सादर ।
Comment by Samar kabeer on October 17, 2016 at 8:36pm
जनाब सतविंदर कुमार'राणा'जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
Comment by Ravi Shukla on October 17, 2016 at 1:32pm

आदरणीय सतविन्‍द्र कुमार जी बहुत बढि़या गजल कही है अापने बहुत बहुत बधाई आपको इस क‍े लिये 

Comment by नाथ सोनांचली on October 17, 2016 at 11:49am
बेहतरीन गजल के लिए बधाई आदरणीय श्री सतविन्द्र कुमार राणा जी
Comment by Shyam Narain Verma on October 17, 2016 at 10:47am
इस लाजवाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
6 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
14 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service