For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेटा जो नयी वैकेंसी निकली थी, तुमने फार्म डाल दिया ?’- पिता के चेहरे पर खुशी थी . उनके हाथ में एक मोबाईल था .

‘नहीं पापा, मैं कोई फॉर्म नहीं डालूँगा . आपके कहने पर पहले कितने  फार्म भर चुका हूँ , कितने इक्जाम दिए, पर कोई नतीजा निकला ?’

‘बेटा तकदीर को कोई नहीं जानता --------?’

‘बेकार की बाते हैं पापा, नौकरी किस्मत से नहीं योग्यता से मिलती है एक्स्ट्रा आर्डिनरी बच्चों को नौकरी की कमी नहीं , पर जो बच्चे सामान्य हैं वे क्या करें, सरकार के पास उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है, उन्हें या तो मंत्री और विधायकों के जुगाड़ से नौकरी मिलती है या रिश्वत देने से,  वह भी थोड़ी नहीं लाखों मे .वे भी किस्मत वाले हैं जिनके बाप नौकरी में रहते मर जाते है कम से कम उनके औलादों को नौकरी तो मिल जाती है . मेरी किस्मत में तो वह भी नहीं . यही मन करता है मैं ही अपनी जान दे दूं . आपने ईमानदारी से नौकरी की,  क्या पाया ? खुद तो मोहताज रहे ही, सारे घर को भूखा-नंगा रखा . आप तो इस लायक भी नहीं कि मेरी नौकरी के लिये रिश्वत का इन्तेजाम कर सकें. ऐसे नाकारा बाप की औलाद होकर मैं अकेला क्या तीर मार सकता हूँ .  

‘तू सच कहता है, बेटा .’ – पिता की आवाज भराई हुई थी. मोबाईल उनके हाथ से छूट गया . वह वापस हो लिए . जाते –जाते उनके मुख से इतना ही निकला –‘तुम्हारे मोबाईल पर एक मैसेज है पढ़ लेना’

   बेटे ने अनमने मन से मोबाईल उठाया . मानीटर पर एक सन्देश था – ‘वी आर प्लीज्ड टू इन्फॉर्म यू दैट यू हैव बीन सिलेक्टेड --------‘  

 (मौलिक /अप्रल्काषित )

 

 

 

 

Views: 532

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 15, 2016 at 11:03pm

आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहब सादर, बहुत सुंदर लघुकथा है. नौकरियों में बढती प्रतियोगिता और तिस पर रिश्वत ने मध्यम वर्ग के सामान्य श्रेणी के बच्चों को कितनी निराशाजनक स्थिति में ला दिया है यह आपकी लघुकथा पूरे प्रभाव के साथ बखूबी बता रही है. सादर.

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 15, 2016 at 10:53pm

दिल को छूती रचना.....आदरणीय ..बहुत बहुत बधाई | सादर

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on September 14, 2016 at 3:16pm
बेहद खूबसूरत दिल को छूती रचना बधाई आपको
Comment by Meena Pathak on September 14, 2016 at 1:40pm

बहुत सुन्दर लघुकथा रची आपने आदरणीय ..बहुत बहुत बधाई | सादर 

Comment by Samar kabeer on September 13, 2016 at 10:42pm
जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी आपने,दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service