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मदिरा सवैया

चैन लुटा जब नैन मिले
तन औ मन की सुध भी न रही।

कोमल भाव जगे उर में
शुचि-शीतल-स्नेह-बयार बही।।

मौन रहे मुख नैनन ने
प्रिय से मन की हर बात कही।

चंद्र निहारत रैन कटें
मन की अब पीर न जाय सही।।

रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by रामबली गुप्ता on July 25, 2016 at 3:41pm
मैं समझ गया आदरणीय सौरभ सर। आपकी अपेक्षाओं के अनुरूप खरा उतरने का पूरा प्रयास करूंगा। सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 25, 2016 at 3:21pm

आपकी रचना प्रस्तुति का कथ्य यदि आजक् एदौर की सामाजिक भावनाओं को संतुष्ट करती हुई हओं तो इन छन्दों को आजके संदर्भ में आँकना अधिक सहज होगा. ऐसा नहीं कि शृंगारिक या मानवीय दशा और भावबोध को शाब्दिक करना उचित नहीं है, परन्तु इन विन्दुओं और विषयों पर कहीं अच्छे छन्द पहले से ही उपलब्ध हैं. हम आजके, अपने बीच के, आस-पास के संदर्भों को छन्दों में क्यों नहीं पिरो सकते ?

Comment by रामबली गुप्ता on July 25, 2016 at 2:10pm
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया एवं सुझावों से मनोबल और भी बढ़ता है आद0 सौरभ सर जी। तथ्य के सन्दर्भ में तनिक और प्रासंगिक होने का आशय न समझ सका आदरणीय। यदि इस सन्दर्भ में उचित मार्गदर्शन करें तो रचनाकर्म में और निखार आ सकेगा।
Comment by रामबली गुप्ता on July 25, 2016 at 2:03pm
प्रशंसा के लिए हृदय से आभार आद0 गिरिराज भाई जी

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 25, 2016 at 11:24am

शृंगारिक पक्ष को मुखर करते सवैया छन्द के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ, आदरणीय रामबली जी। 

आपका छन्दबद्ध रचनाओं पर प्रयास आश्वस्त करता है। किन्तु, कथ्य को लेकर तनिक प्रासंगिक होना अन्य रचनाकारों को भी प्रोत्साहित करेगा, ऐसा मेरा मानना है। 

जिन सुधीजनों ने सवैया छन्द के शिल्प के प्रति जानकारी न होने की विवशता जतायी है, वे भारतीय छन्द विधान समूह में सवैया से सम्बन्धित आलेख अवश्य देख लें। सवैया सम्बन्धी एक आइडिया मिल जायेगा। 

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 25, 2016 at 9:42am

आदरनीय राम बली भाई , शिल्प का ज्ञान मुझे नहीं है , पर भावपक्ष  बहुत बढिया लगा ! दिल से बधाइयाँ आपको ।

Comment by रामबली गुप्ता on July 23, 2016 at 10:42am
आद0 कल्पना जी बहुत बहुत आभार आपका
Comment by रामबली गुप्ता on July 23, 2016 at 10:41am
आदरणीया प्रतिभा जी, रचना पर उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदय से आभार।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2016 at 5:15pm

सुंदर रचना है | बधाई स्वीकार करें आदरणीय रामबली जी | 

Comment by pratibha pande on July 22, 2016 at 11:48am

इस छंद का तो मुझे ज्ञान नहीं है पर  रचना के भाव   सुन्दर हैं ,  हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय रामबली जी 

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