For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- डगर जीवन की जो समतल नहीं है। ( दिनेश कुमार )

1222--1222--122


डगर जीवन की जो समतल नहीं है
मेरी पेशानी पर भी बल नहीं है

समस्या आपकी सुलझाऊँगा मैं
मगर चिंता का कोई हल नहीं है

गवाही दे रही गलियों की रौनक
अभी उस गाँव में गूगल नहीं है

कोई तूफ़ान आएगा यक़ीनन
समन्दर में कहीं हलचल नहीं है

बनारस हो, गया, के हर की पौड़ी
कि अब गंगा कहीं निर्मल नहीं है

उसे हालात की भट्ठी ने ढाला
खरा सोना है वो पीतल नहीं है

मरेगा प्यास से फिर कोई चातक
कहीं आकाश पर बादल नहीं है

हवाएँ चल रही हैं पश्चिमी कुछ
सरों पर देखिए आँचल नहीं है

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला' on September 2, 2016 at 3:03pm

आला  ग़ज़ल है आ. दानिश  जी !!! हर शेर पे बेहतर होती गई ग़ज़ल !!! बधाई आपको !!!

Comment by shree suneel on July 11, 2016 at 7:32pm
व्वाहह! उम्दा! शानदार ग़ज़ल पेश की है अापने आदरणीय दिनेश जी. बहुत ख़ूब. बहुत ख़ूब. दिल से बधाई आपको. सादर
Comment by जयनित कुमार मेहता on July 10, 2016 at 9:32pm
ग़ज़ल अच्छी लगी। हार्दिक बधाई आपको।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 6, 2016 at 8:14pm

आदरणीय , खूब सूरत गज़ल के लिये हार्दिक बधाई ।

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 4, 2016 at 11:51pm

मरेगा प्यास से फिर कोई चातक
कहीं आकाश पर बादल नहीं है........वाह ! बहुत खूब.

भाई दिनेश कुमार जी बहुत कमाल के अशआर हुए हैं सभी एक से बढ़कर एक. बहुत उम्दा गजल हुई है. दिली दाद क़ुबूल फरमाएं. सादर.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 4, 2016 at 5:01pm

आदरणीय दिनेश भाई जी ..रचना के माध्यम से वर्तमान परिदृश्य की खूबसूरत बिबेचना की है साथ ही बदलते समाज और आने वाले खतरों के प्रति भी आगाह किया है ..एक रचनाकार का कर्म भी यही है उसमे आप पूरी तरह सफल रहे हैं ..इस रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर बधाई के साथ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service