For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- रुख़-ए-पुरज़र्द को गुलफ़ाम कर दे। ( दिनेश कुमार 'दानिश' )

1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2
___________________

रुख़-ए-पुरज़र्द को गुलफ़ाम कर दे
तबीयत में मेरी आराम कर दे

थी अपनी इब्तिदा-ए-इश्क़ मद्धम
तू इसका सुर्ख़रू अंजाम कर दे

किसे मालूम जन्नत की हक़ीक़त
तू आना मयकदे में आम कर दे

पिला नज़रों से अपनी कुछ तो मुझको
नहीं कुछ और , ज़िक्र-ए-जाम कर दे

मोहब्बत की सज़ा ! तुझ गुलबदन को
तू आयद मुझ पे सब इल्ज़ाम कर दे

रगों में इसकी धोका झूट लालच
सियासत पल में क़त्ल-ए-आम कर दे

झुकाए सर, खड़ा है क्यों यहाँ पर
तुझे हक़ चाहिए? कोहराम कर दे

दिखाऊँ राह मैं भटके हुओं को
मुझे ऐसा चराग़-ए-शाम कर दे

मेरे मौला बरा-ए-नाम बेशक
मेरा बज़्म-ए-सुख़न में नाम कर दे

क़ज़ा मैं थक गया हूँ अब तो मुझको
शहीद-ए-गर्दिश-ए-अय्याम कर दे

बिसात-ए-दह्र ये दाँव आखिरी है
ए दानिश ! खुद को तू नीलाम कर दे

दिनेश कुमार 'दानिश'

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 475

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला' on September 2, 2016 at 3:00pm

बहुत ख़ूब  आ.  दानिश  जी !!! क्या कहने !!!  बहुत ही अच्छी ग़ज़ल है ..... 

Comment by दिनेश कुमार on August 25, 2016 at 5:58am
शुक्रिया आ. गिरिराज सर जी।
Comment by दिनेश कुमार on August 25, 2016 at 5:57am
शुक्रिया आ. राजेश साहिबा जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 23, 2016 at 10:56am

आदरणीय दिनेश भाई , अच्छी गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ आपको ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 22, 2016 at 10:04am

वाह्ह्ह  वाह्ह्ह  बहुत शानदार ग़ज़ल कही है दिनेश जी हर शेर के लिए दिल से दाद हाजिर है |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service