For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत खुश हैं हम अपने बोरिये पर (ग़ज़ल)

1222 1222 122

बिछाया जिसने कंकड़ रास्ते पर
वो क्यों चुपचाप है इस हादिसे पर

अना के बदले सबकुछ मिल रहा था
हमीं राज़ी नहीं थे बेचने पर

हमारे पाँव में जब मोच आई
थी मंज़िल कुछ क़दम के फासले पर

ज़ुबाँ सिल ले, जिसे है जान प्यारी
कटेंगे सर यहाँ, सच बोलने पर

अधिष्ठाता वही इस देश के हैं
अभी तक जो रहे हैं हाशिये पर

मकाँ तब्दील हो जाता है घर में
डिनर पर, या सवेरे नाश्ते पर

बिठाए आपको पलकों पे दुनिया
बहुत खुश हैं हम अपने बोरिये पर

हज़ारों जुगनुओं के बीच में भी
हमारा ध्यान है बुझते दिये पर

ग़ज़ल कहते इक अरसा हो गया है
अटक जाता हूँ फिर भी काफ़िये पर

मेरा दिल, खिलखिलाता एक बच्चा
जो गुमसुम हो गया है डाँटने पर
===========================

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on June 22, 2016 at 10:16am
आ. श्याम नारायण वर्मा जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपको।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 22, 2016 at 12:19am

भाई जयनित, ग़ज़ल आपकी सही है. लेकिन मैं मतले से बहुत संतुष्ट नहीं हो पाया. कंकड़ शब्द जातिवाचक के तौर समूहवाचक का होते हुए कंकड़ ही रहेगा. अतः इसका बहुवचन कंकड़ ही रहेगा. फिर क्रिया बिछाये हो जायेगी न ?

दूसरे, कंकड़ का बिछाना हादसा कैसे हुआ ? यदि कंकड़ के राह पर बिछा देने से कोई हादसा हो जाता है तो उसका राबिता तो हो !  

मकाँ तब्दील हो जाता है घर में
डिनर पर, या सवेरे नाश्ते पर.. ......... यह आजके दौर का बड़ा शेर हुआ है.

बिठाए आपको पलकों पे दुनिया
बहुत खुश हैं हम अपने बोरिये पर...... इस शेर की तासीर बहुत अच्छी लगी है.

हज़ारों जुगनुओं के बीच में भी
हमारा ध्यान है बुझते दिये पर............ बुझते दिये पर ध्यान होना एक अलग ही ऊँचाई दे रहा है.

ज़ुबाँ सिल ले, जिसे है जान प्यारी
कटेंगे सर यहाँ, सच बोलने पर............. ऐसा शेर कहना कोई विवशता है क्या ?

बाकी शेर भी मुझे ठीक-ठाक लगे हैं. या, भर्ती के ! प्रयासरत रहें. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 21, 2016 at 11:22am

आ. जयनित भाई , अच्छी गज़ल कही आपने , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 20, 2016 at 10:12pm
मकाँ तब्दील हो जाता गई घर में...
वाह वाह क्या ख़ूबसूरत शेर
बहुत अच्छा कह रहो जयनित जी
बधाइयाँ
Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 20, 2016 at 10:07pm

बिछाया जिसने कंकड़ रास्ते पर..एक कंकड़ कैसे बिछाया जा सकता है ?
वो क्यों चुपचाप है इस हादिसे पर..किस हादिसे पर... खुलासा नदारद है 
बाकी खूब है ..बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on June 18, 2016 at 3:07pm
वाह ! बहुत खूब | सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service