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हौले हौले-(ग़ज़ल - एक प्रयास)

हौले हौले-(ग़ज़ल - एक प्रयास)

बहर -२२ २२ २२ २

हौले हौले रात चली
हौले हौले बात चली !!१!!

हौले हौले  होंठ  हिले
हौले से बरसात चली !!२!!

हौले  हौले   आँखों    में
प्यासी प्यासी रात चली !!३!!

हौले   हौले   जीत   हुई
आलिंगन की बात चली !!४!!

हौले  हौले  ख़्वाबों की
आँखों से बरसात चली !!५!!

हौले  हौले  आँखों   से
जागी जागी रात चली !!६!!

हौले  हौले  वो  महकी
जुगनू की बारात चली !!७!!


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 30, 2016 at 10:00am

वाह....हौले-हौले बहुत ही खूबसूरत रचना हुई आदरणीय 

Comment by Sushil Sarna on April 28, 2016 at 8:05pm

आदरणीय  Shyam Narain Verma    जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by Shyam Narain Verma on April 28, 2016 at 6:24pm
बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर 
Comment by Sushil Sarna on April 28, 2016 at 2:00pm

आदरणीय रवि शुक्ला जी ग़ज़ल प्रयास पर आपकी स्नेहिल थपकी ने प्रस्तुति का मान रख लिया।  प्रयत्न करूंगा कि आपकी आशाओं को निराश न करूँ।  आपका तहे दिल  शुक्रिया। 

Comment by Ravi Shukla on April 28, 2016 at 12:32pm

आदरणीय सुशील जी गजल पर आपको प्रयाास करतेे देख कर अच्‍छा लगा । सतत प्रयास से आप अच्‍छी गजले कहेंगे ये मंच को आशा है इस ग़ज़ल मेंं शिल्‍प साध लिया है आपने । बधाई 

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