For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चोट खाकर देखिए-ग़ज़ल-(लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' )

2122    2122    2122    212

इस नगर में हर किसी को इक फसाना चाहिए
ऊँघते  को  ठेलते  का  इक  बहाना  चाहिए /1

कब से ठहरा ताल अब तो मारिए कंकड़ जरा
जिंदगी का लुत्फ  कुछ तो  यार आना चाहिए /2

बेबसी क्यों  ओढ़नी  जब हाथ लाठी कर्म की
द्वार किस्मत का चलो अब खटखटाना चाहिए /3

चोट खाकर देखिए खुद दर्द की तफतीस को
बोलना  फिर  दर्द में  भी  मुस्कुराना चाहिए /4

हो गयी हो पीर  पर्वत  हर दवा जब बेअसर
आँसुओं को किसलिए फिर छलछलाना चाहिए /5

ये हवाएँ  मौसमी  हैं  इनसे डरना व्यर्थ है
इन हवाओं की झड़ी को घर पुराना चाहिए /6

हो गए हैं जाल जर्जर मौसमों की मार से
अब परिंदों पंख तुमको फड़फड़ाना चाहिए /7

मौलिक व अप्रकाशित

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 463

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 18, 2016 at 12:37pm

आ० भाई तस्दीक अहमद जी उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार l

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 17, 2016 at 3:13pm

जनाब लक्ष्मण  धामी  साहिब , अच्छी ग़ज़ल कही आपने , मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2016 at 11:19am

आ0 भाई समर कबीर जी गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद । आपके द्वारा इंगित शेर में तफतीस के स्थान पर सही शब्द तफतीश है जिसका अर्थ जाँच परख से है । यहाँ पर आप समझने या अनुभव करने के संदर्भ में ले सकते हैं। वैसे यहाँ पर तासीर या तफसील शब्द का प्रयोग भी किया जा सकता है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2016 at 11:19am

आ0 भाई तेजवीर जी, उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by Samar kabeer on February 15, 2016 at 11:17pm
जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी,आदाब,शानदार ग़ज़ल कही है आपने,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

"चोट खाकर देखिए खुद दर्द की तफतीस को"

इस मिसरे में "तफतीस" का अर्थ समझ नहीं पाया,बताने का कष्ट करें ।
Comment by TEJ VEER SINGH on February 15, 2016 at 7:38pm

हार्दिक बधाई  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!बेहतरीन गज़ल!

हो गयी हो पीर  पर्वत  हर दवा जब बेअसर
आँसुओं को किसलिए फिर छलछलाना चाहिए 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ, मेदानी जी, कृपया देखेंकि आपके मतल'अ में स्वर ' उका' की क़ैद हो गयी है, अत:…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में कुछ दोष आदरणीय अजय गुप्ता जी नें अपनी टिप्पणी में बताये। उन्हे ठीक कर ग़ज़ल पुन: पोस्ट कर…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश नूर जी, आपकी ग़ज़ल का मैं सदैव प्रशंसक रहा हूँ। यह ग़ज़ल भी प्रशंसनीय है किंतु दूसरे…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी, पोस्ट पर आने और सुझाव देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। बशर शब्द का प्रयोग…"
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्ते ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई। अच्छे भाव और शब्दों से सजे अशआर हैं। पर यह भी है कि…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई आपको  अच्छे मतले से ग़ज़ल की शुरुआत के लिए…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रास्ता  घर  का  दूसरा  तो  नहीं  जीना मरना अलग हुआ तो…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"2122 1212 22 दिल को पत्थर बना दिया तो नहीं  वो किसी याद का किला तो नहीं 1 कुछ नशा रात मुझपे…"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं आग फैली गली गली लेकिन सिर फिरा कोई भी नपा तो…"
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार नीलेश भाई, एक शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई। कुछ शेर बहुत हसीन और दमदार हुए…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार जयहिंद रायपुरी जी, ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है। //ज़ेह्न कुछ और कहता और ही दिलकोई अंदर मेरे…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ज़िन्दगी जी के कुछ मिला तो नहीं मौत आगे का रास्ता तो नहीं. . मेरे अन्दर ही वो बसा तो नहीं मैंने…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service