For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिज़्ज़ा वाला [लघु कथा ]

पूरी रफ़्तार से गाड़ी चला रहा था वो ,फिर भी काइनेटिक में सवार पिज़्ज़ा वाले लड़के से आगे नहीं निकल पा रहा  था Iपिज़्ज़ा वाला पीछे  मुड़ मुड़ कर उसे देखता हुआ हंस रहा था Iतभी उसने देखा कि पिज़्ज़ा वाले के पीछे निशा भी बैठी है I" रुक जा , आज मै तुझसे पहले टाइम पर पहुँच जाऊँगा, और निशा तुम कहाँ जा रही हो ?सुनो तो ,निशा ..निशा " वो जोर से चीखा I

"क्या चिल्ला रहे हो नींद में  अरुण ?"पत्नी निशा उसे झंकझोर रही थी Iपसीने से लथ पथ वो उठ बैठा I

"निशा " पत्नी का हाथ पकड़ लिया उसनेI  "सॉरी  ,कल रात भी देर से पहुंचा ,तुम दोनों सो चुकी थीं तब तक "I गला भर्रा गया था उसका I

"कोई नई बात है क्या ?सुबह पाँच बजे ये ही कहने के लिए उठाया है जोर ज़ोर से चिल्ला कर ?"

उसका जी चाहा पत्नी को गले लगाकर नए साल की बधाई दे ,पर उसके झल्लाये चेहरे को देख हिम्मत नहीं कर पाया I

"देखो नई कंपनी है I अपनी जगह बनाने के लिए ,बॉस को इम्प्रेस करने के लिए ज्यादा काम तो करना पड़ता है Iऔर फिर ये सब मै .."

" हाँ  हाँ ये सब "उसे बीच  में काटते हुए वो बोली " तुम मेरे और परी के लिए ही तो कर रहे हो I हमारे लिए ही  कार ली ,दूसरी सारी आराम की चीज़ें जोड़ीं ,और अब ई एम आई भरते भरते पिस रहे हो ,ये ही ना ?" अपना हाथ धीरे से छुड़ा लिया पत्नी ने I

"निशा तुम नहीं समझोगी तो कौन समझेगा मुझे ? कुछ दिनों की बात है, सब ठीक कर दूंगा मै I कल परी भी कह रही थी कि पापा आप प्रॉमिस ब्रेकर हो Iपिज़्ज़ा वाले अंकल  भी हमेशा प्रॉमिस किये हुए टाइम पे आ जाते हैं पिज़्ज़ा देनेI मेरी सात साल की बच्ची भी कितनी नाराज़ है मुझसे" I थोड़ी देर पहले का सपना फिर दिमाग़ में कौंध गया उसके I

"बच्चे भी समझते हैं आस पास के माहौल को I पिज़्ज़ा से ध्यान आया ,कल रात को भी पिज़्ज़ा मंगवाया था I एक पीस लोगे गर्म कॉफ़ी के साथ ?" निशा उठने लगी I

"नहीं ss " उसने लगभग चीखते हुए पत्नी का हाथ कस कर पकड़ लिया "कहीं मत जाओ प्लीज़ "I

मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 786

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on January 8, 2016 at 1:58pm

मेरी इस रचना पर अपना अमूल्य समय देकर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज जी 

Comment by pratibha pande on January 8, 2016 at 1:55pm

कथा पर प्रस्तत हो उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सतविंदर जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2016 at 12:37pm

आदरणीया प्रतिभा जी , मधयम वर्गी को अधुनिक बनावटी जीवन के लिये ऐसे समझुते करने पड़ते हैं , बाद मे केवल हात मे पचातावे के और कुछ नही रहता । एक अच्छी कथा के लिये आपको  हार्दिक बधाई ।

Comment by pratibha pande on January 6, 2016 at 11:23am

आपका उत्साहवर्धन सदा मेरा हौसला बढाता है ,आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी 

Comment by pratibha pande on January 6, 2016 at 11:17am

आदरणीय समर कबीर जी ,मेरी कथा पर प्रस्तुत होकर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका तहे दिल से आभार  सादर 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 6, 2016 at 11:11am
वाह्ह्ह्!पैसे और आराम की चीज़ों को जोड़ते जोड़ते इंसान रिश्तों से दूर चला जाता है।बधाई आदरणीया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 6, 2016 at 10:15am

इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी में इंसान कमाई की मशीन बन कर रह गया है कभी कभी उसके अन्दर का पति व् पिता इस ग्लानी को पीता है

जो सपना बन कर उसे आगाह भी करता है बहुत सुन्दर लघु कथा हेतु हार्दिक बधाई प्रिय प्रतिभा जी | 

Comment by Samar kabeer on January 5, 2016 at 10:59pm
मोहतरमा प्रतिभा पांडे जी,आदाब,हम जैसे नए सीखने वालों के लिये आपकी लघुकथा में बहुत कुछ है ,ये एक साथ कई संदेश दे रही है ,इस सार्थक लघुकथा के लिये ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
Comment by pratibha pande on January 5, 2016 at 8:16pm

आपने अपना  समय देकर  कथा के मर्म का अनुमोदन किया ,मेरा लिखना सार्थक हुआ ,आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेज वीर जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on January 5, 2016 at 7:36pm

हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा जी  जी!लघुकथा के माध्यम से एक आम आदमी की आपा धापी भरी ज़िंदगी और परिवार के लिये सब कुछ करते हुए भी वह ना कर पाने की ज़द्दोज़हद, जो परिवार के लोग उससे अपेक्षा रखते हैं ,बेहतरीन तरीके से परिभाषित किया है!पुनः बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
47 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
54 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service