For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं राजपथ हूँ [ गणतंत्र दिवस पर ]

मैं राजपथ हूँ 

भारी बूटों की ठक ठक

बच्चों की टोली की लक दक  

 अपने सीने पर महसूसने को 

हूँ फिर से आतुरI

सर्द सुबह को जब 

जोश का सैलाब 

उमड़ता है मेरे आस पास 

सुर ताल में चलती टोलियाँ 

रोंद्ती हैं मेरे सीने को 

कितना आराम पाता हूँ 

सच कहूं ,तभी आती है साँस में साँस

इतराता हूँ अपने आप पर I

पर आज कुछ डरा हुआ हूँ 

भविष्य को लेकर चिंतित भी 

शायद बूढा हो रहा हूँ I

बस मेरी रौनक के इंतज़ार में 

सर्द रात से ठिठुरते बैठे लोग 

कहाँ गए सब ?

हवा में हर तरफ एक 

रस्म निभाने की डरी हुई मजबूरी 

क्यों फ़ैली है ?

मैं राजपथ 

फिर से खिलखिलाना 

और इतराना चाहता हूँ 

नहीं चाहता हूँ बूढा होना 

और डरना तो बिलकुल नहीं 

कब हो सकेगा ऐसा ?

 मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 10, 2016 at 12:05am

आदरणीया प्रतिभाजी, इस प्रस्तुति की गहनता ध्यानाकृष्ट करती है.  हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 28, 2016 at 12:07am

आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी संवेदनशीलता को नमन है. अद्भुत भावुक रचना हुई है जिसके शब्द गहरे तक प्रभावित कर रहे है. आशंकाओं की चिंता और भय को बहुत सधे हुए शब्द मिले है. कविता अपने मर्म तक पाठक को न केवल बहा ले जाती है बल्कि डूब जाने को मजबूर करती है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई और धन्यवाद  

Comment by Samar kabeer on January 26, 2016 at 5:54pm
मोहतरमा प्रतिभा पांडे जी आदाब,दिल को छूने वाली इस बहतरीन प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें !
Comment by pratibha pande on January 26, 2016 at 12:01pm

उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी 

Comment by pratibha pande on January 26, 2016 at 11:59am

आपने रचना के मर्म को महसूस किया ,हार्दिक आभार आदरणीय सतविंदर जी 

Comment by pratibha pande on January 26, 2016 at 11:56am

उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on January 26, 2016 at 10:47am

हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा जी!सामयिक और संदेश परक प्रस्तुति!

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 26, 2016 at 7:28am
भावों का अनुपम उद्गार।हार्दिक बधाई आदरणीया प्रतिभा जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service