For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हकीकत.....

उस दिन
जब तुमने मेरे काँधे पे
अपना हाथ रखा था
कितने ख़ुशनुमा अहसास
मेरे ज़हन में
उत्तर आये थे
लगा भटकी कश्ती को
जैसे साहिलों ने
अपनी आगोश में ले लिया हो
मगर मैं उन सुकून देते लम्हों को
कहाँ पहचान पायी थी
क्या खबर थी कि तुम
इज़हारे मुहब्बत के बहाने
मेरे कमजोर कांधों की
ताकत नाप रहे थे
मैंने तुम्हें अपना सागर मान
अपने वज़ूद को
तुम्हें सौंप दिया
आज तक
तुम्हारी उँगलियों की वो छुअन
दूर तक मेरे ज़िस्म में
आज भी जीवित है
और मैं
हथेली पर गिरी
हकीकत की इक बूँद के साथ
आज भी तन्हा खड़ी हूँ

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 344

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 16, 2015 at 6:15pm

आदरणीय  vijay nikoreजी प्रस्तुति को मान देती आपकी इस आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by vijay nikore on December 16, 2015 at 1:39pm

 //तुम्हारी उँगलियों की वो छुअन 
दूर तक मेरे ज़िस्म में 
आज भी जीवित है 
और मैं 
हथेली पर गिरी 
हकीकत की इक बूँद के साथ 
आज भी तन्हा खड़ी हूँ//

कोमल भाव से भरपूर रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील जी।

Comment by Sushil Sarna on December 15, 2015 at 12:07pm

आदरणीय समीर कबीर जी प्रस्तुति को मान देती आपकी इस आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by Samar kabeer on December 14, 2015 at 10:14pm
जनाब सुशील सरना जी,आदाब,हमेशा की तरह यह कविता भी दिल को छूती हुई महसूस हुई,आपने अपने ख़यालों को अच्छे शब्द दिये हैं,ढेरों दाद के साथ बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service