For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आत्मिक प्रेमतत्व

आत्मिक प्रेमतत्व …

जलतरंग से
मन के गहन भावों को
अभिव्यक्त करना
कितना कठिन है

हम किसको प्रेम करते हैं ?
उसको !
जिसके संग हमने
पवन अग्नि कुण्ड के चोरों ओर
सात फेरे लिए
या उसको
जिसके प्रेम में
स्वयं को आत्मसात कर हम
जीवन के समस्त क्षण
उसके नाम कर दिए
एक प्रेम
जीवन के अंत को जीवन देता है
और दूसरा अंतहीन जीवन को अंत देता है
जिस प्रेम को बार बार
शाब्दिक अभिव्यक्ति की आसक्ति हो
उसका अमरत्व मरीचिका समान है
और जिस प्रेम की अभिव्यक्ति
मौनता के आवरण में निशब्द अभिव्यक्त हो
वही आत्मिक प्रेमतत्व की पहचान है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 445

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 29, 2015 at 1:25pm

आदरणीया प्रतिभा जी आपके स्नेहवचनों का हार्दिक आभार। 

Comment by pratibha pande on September 28, 2015 at 7:22pm

जिस प्रेम को बार बार 
शाब्दिक अभिव्यक्ति की आसक्ति हो

उसका अमरत्व मरीचिका समान है 

गूढ़ भाव लिए सुंदर रचना , हार्दिक बधाई आपको आदरणीय 

Comment by Sushil Sarna on September 28, 2015 at 1:48pm

आदरणीयडॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी रचना पर आत्मीय प्रशंसात्मक अभिव्यक्ति का दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on September 28, 2015 at 1:46pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी रचना पर आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on September 28, 2015 at 1:44pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी रचना की समीक्षात्मक प्रतिक्रिया  प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। सर ''पवन अग्नि कुण्ड के चोरों ओर '' पंक्ति में ''चारों'' के स्थान पर ''चोरों'' टंकित हो गया जो टंकण त्रुटि है कृपया इसे'' चारों '' ही पढ़ें। इसके अतिरिक्त कोई अक्षरी त्रुटि हो तो कृपया  का कष्ट करें ताकि तदनुसार संशोधन किया जा सके। धन्यवाद। 

Comment by Sushil Sarna on September 28, 2015 at 1:38pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी आपके स्नेह का हार्दिक आभार। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 28, 2015 at 10:53am

सुन्दरते  तेरी जय  !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 28, 2015 at 10:50am

सत्य कथन !  आदरणीय बहुत सुन्दर वैचारिक कविता हुई है । आपको हार्दिक बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 27, 2015 at 10:43pm

आदरणीय सुशील सरना सर, अक्षरी संबधी त्रुटियाँ एक सशक्त रचना को भी प्रभावहीन बना देते है. सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on September 26, 2015 at 12:03pm
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service