For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारे शहर में खाना ख़राब हूँ मैं तो (फिल बदीह ग़ज़ल 'राज')

1212   1122    1212    22

तमाम उम्र जलूँ आफ़ताब हूँ मैं तो,

पढ़ी न जाय कभी वो किताब हूँ मैं तो

 

न ढूँढिये मुझे केवल सराब हूँ मैं तो,

किसी चमन का फ़सुर्दा गुलाब हूँ मैं तो      .

 

खुदी के प्रश्न का खुद ही जबाब हूँ मैं तो,

हुजूर अपनी जमीं का नबाब हूँ मैं तो

 

एजाज नूर का जिसके जुबाँ जुबाँ पर है,

उस आईने का फ़क़त इक निकाब हूँ मैं तो

 

दिखा सके न कभी आँख गैर कोई भी

,वतन की हद पे लिखा इक रुआब हूँ मैं तो

 

बुला के बज्म में अपनी भला क्या कीजैगा

,तुम्हारे शहर में खाना ख़राब हूँ मैं तो

 

मुझे बुला के भला ख़्वाब में क्या पाओगे

मुसीबतों का सबब बेहिसाब हूँ  मैं तो

 

करेगा कैसे उजाला ये डूबता सूरज,

रखो न आस मेरी इक हुबाब हूँ मैं तो

---------------मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

 

 

 

 

Views: 827

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 19, 2015 at 8:16pm

आ० समर कबीर भाई जी,ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति को मैं अपना सौभाग्य मानती हूँ आपकी शेर दर शेर दाद मेरे उत्साह में कितना ईजाफ़ा करती है शब्दों में बयाँ  नहीं कर सकती|आपकी इस्स्लाह सर आँखों पर उर्दू शब्दों की जानकारी आपसे बेहतर किसे होगी हालांकि रुआब बहुत जगह पढ़ चुकीं हूँ किन्तु यह शब्द रौब का बिगड़ा हुआ रूप है यह तो ज्ञात हो गया है तो भविष्य में इससे बचना ही चाहूंगी |ग़ज़ल पर दाद और मार्गदर्शन का आपका बहुत- बहुत शुक्रिया. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 19, 2015 at 8:12pm

आ० रवि शुक्ला जी,आपकी प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ उत्साहित हूँ आपने ग़ज़ल को इतना मान दिया दिल से आभार आपका.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 19, 2015 at 8:10pm

आ० श्याम नारायण वर्मा जी ,आपका हृदय से आभार. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 19, 2015 at 8:09pm

आ०  डॉ ० कंवर करतार जी,आपका तहे दिल से शुक्रिया|  

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 19, 2015 at 7:10pm

बेहतरीन आ० फिल बदीह के दायरे में  इतनी बेहतरीन गजल कहना सच में कमाल है...नमन!

सारे शेर बेहतरीन हुए है...आ० समर सर की बात अपनी जगह ठीक है पर ..''रौब-रुबाब'' आदि इस तरह के मूल शब्द के साथ के पूरक शब्द अब इतने प्रचलित हो चुके है की केवल रुबाब का प्रयोग करने में मुझे कुछ दोष नज़र नही आता..!

एक शेर ये...

1212   1122    1212    22

मुझे बुला/ के भला ख़्वा/ब में क्या पा/ओगे...............क्या को १ मात्रा माना जा सकता है क्या??

मुसीबतों का सबब बेहिसाब हूँ  मैं तो...............यहाँ ख़्वाब में बुलाना उतना जंच नही रहा है.....हकीकत की बात हो तो शेर और मारक हो जाये!सादर!

Comment by Samar kabeer on September 19, 2015 at 12:01am
बहना राजेश कुमारी जी,आदाब,बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने और इस पर कमाल ये है कि यह फ़िल बदीह है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
बहना एक शैर की तरफ़ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा :-

"दिखा सके न कभी आँख गैर कोई भी
,वतन की हद पे लिखा इक रुआब हूँ मैं तो"

इस शैर में क़ाफ़िया सही नहीं है ,बहना,उर्दू में रुआब कोई शब्द ही नहीं है,एक शब्द है "रौब" ,देख लीजियेगा,बाक़ी शुभ-शुभ ।
Comment by Ravi Shukla on September 18, 2015 at 2:58pm

आदरणीया राजेश जी  बहुत ही सुन्‍दर ग़ज़ल कही है पिछले मुशायरे से पहले ये बह्र बहुत मुश्किल समझ रहे थे  पर अब तो इस पर ग़ज़ले पढ़ का बहुत अच्‍छा लग रहा है । लगातार जलते रहने वाली शय के रूप मे आफताब से बेहतर अौर क्‍या हो सकता है बहुत सुन्‍दर कथ्‍य है ग़ज़ल में आदरणीया । बधाई स्‍वीकार करें ।

Comment by Shyam Narain Verma on September 18, 2015 at 12:36pm
इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए कोटि कोटि बधाई ,
Comment by कंवर करतार on September 17, 2015 at 10:40pm

वहन राजेश, सुंदर ग़ज़ल के लिए कोटि कोटि बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 17, 2015 at 9:23pm
दीदी उस शेर में ऐब कुछ नहीं है मेरा कहने का मतलब था ये मत्ला और भी निखारा जा सकता है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service