For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आरती उतारूँ क्या?(छोटी बह्र की ग़ज़ल 'राज')

२१२ १२२ २

गली गली बुहारूँ क्या?

नालियाँ निथारूँ क्या ?

काम छोड़ कर अब मैं 

रास्ता निहारूँ क्या?

 

आसमां से उतरे हो  

आरती उतारूँ क्या?

 

धूल लग गई शायद

पाँव  भी पखारूँ क्या?

 

देखना है  चेह्रा  अब     

आईना सँवारूँ क्या?

 

लाए कुछ नए जुमले   

शब्द मैं सुधारूँ क्या? 

 

धूप लग रही क्या जी

अब्र को पुकारूँ क्या?

 

वोट मांगने आये 

पांच साल वारूँ क्या?  

 

स्याह क्यूँ हुई रंगत   

बोलिए निखारूँ क्या?

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 731

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 3, 2015 at 9:33am

कृष्ण मिश्रा जी ,इस व्यंगात्मक ग़ज़ल का आनंद उठाया आपने बहुत- बहुत शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2015 at 10:27pm

मिथिलेश भैया  ,आपकी शंका वाजिब है इस त्रुटी की और ध्यान  दिलाने का शुक्रिया दरअसल दो मतले तैयार किये थे --एक में रास्ता निहारूँ  क्या ?दुसरे में नालियाँ निथारूँ क्या ? फिर सोचा  दूसरा  ज्यादा ही हार्श  हो जाएगा सो पहला पोस्ट कर दिया उस और ध्यान  ही नहीं गया ,अब इसे ठीक  कर दूँगी ,अभी थोड़ी जल्दी में हूँ  कल आती हूँ पोस्ट पर |

Comment by MAHIMA SHREE on July 2, 2015 at 9:22pm

वाह बहुत खूब ..छोटी बहर में ...क्या खूबसूरत ग़जल कही है..बहुत बधाई आपको .सादर

Comment by shree suneel on July 2, 2015 at 8:45pm
धूप लग रही क्या जी
अब्र को पुकारूँ क्या?... बहुत प्यारा सा.. अच्छा शे'र. इस मौसम में होठों पे रखने लायक.
बाकी के अशआर भी ख़ूब लगे आदरणीया. बधाइयाँ.. बधाइयाँ.. आपको
मिथलेश वामनकर सर की बात काबिले गौ़र है.
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2015 at 8:37pm

कमाल है दीदी श्री

छोटी बहर में धमाल .

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 2, 2015 at 7:43pm

वाह वाह! गागर में सागर आदरणीया राजेश कुमारी जी!

लाए कुछ नए जुमले   

शब्द मैं सुधारूँ क्या?

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 2, 2015 at 5:28pm

आदरणीया राजेश जी ..इस छोटी बहर पर क्या कमाल की ग़ज़ल लिखी है आपने ..जितनी तारीफ़ की जाए कम है ..ताजगी से भरी और नेताओं पर शानदार कटाक्ष करती इस ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई सादर 

Comment by maharshi tripathi on July 2, 2015 at 5:27pm

लाए कुछ नए जुमले   

शब्द मैं सुधारूँ क्या? 

 

धूप लग रही क्या जी

अब्र को पुकारूँ क्या?

 

वोट मांगने आये 

पांच साल वारूँ क्या?  ,,,,,,,,,,लाजवाब ,,सुन्दर आ, rajesh kumari जी ,,|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 2, 2015 at 5:18pm

आदरणीया राजेश दीदी छोटी बह्र में आपने बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल कही है, आपको शेर दर शेर दाद हाज़िर है 

इस शेर ने तो दिल ही लूट लिया-

आसमां से उतरे हो  

आरती उतारूँ क्या?

दीदी मतले में बुहारूँ/ निहारूँ में काफिया--आरूँ होगा या हारूँ ...थोड़ा सा सशंकित हूँ मार्गदर्शन का निवेदन है. सादर 

Comment by kanta roy on July 2, 2015 at 2:19pm
वोट मांगने आये 
पांच साल वारूँ क्या?  
 
स्याह क्यूँ हुई रंगत   
बोलिए निखारूँ क्या........ बेहद खूबसूरत अंदाज़ है यह भी गजल कहने का ... वाह !!!! लाजवाब !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
13 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
16 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
16 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
16 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
16 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service