For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बड़ी खूबसूरत हवालात होगी (फिल बदीह ग़ज़ल(राज)

122 122 122 122

 

 तुम्हारी समझ से वो सौगात होगी

,मगर मेरी नजरों में खैरात होगी

 

मुझे चाहिए मेहनतों के  निवाले,

जिये रहमतों पर तेरी जात होगी.

 

न जाने कहाँ अब मुलाकात होगी

,जहाँ आमने सामने बात होगी

 

घटाएँ हिमालय के रुखसार चूमे,

कहीं झूम कर आज बरसात होगी

 

मुहब्बत हमारी जहाँ कैद हो वो 

,बड़ी खूबसूरत हवालात होगी

 

हुए कहकशाँ में नए दीप रोशन

,चली आज चंदा की बारात होगी

 

बढ़ो तुम जरा से बढ़ें हम जरा से,

 मिलन की कहीं से शरुआत होगी

 

मुहब्बत की शतरंज में दिल मन बराबर

, बड़ी दिलकशीं आज शय मात होगी

----------------राजेश कुमारी 'राज '

(

 

Views: 778

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 13, 2015 at 10:41am

श्री सुनील जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई हार्दिक आभार आपका. 

Comment by shree suneel on July 12, 2015 at 10:23pm
ख़ूबसूरत अशआर से सजी इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाइयाँ आदरणीया.
घटाएँ हिमालय के रुखसार चूमे,
कहीं झूम कर आज बरसात होगी.. बहुत ख़ूब!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2015 at 8:56pm

आ० डॉ० गोपाल भाई जी ,ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया  हेतु आपका तहे दिल से आभार.  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 10, 2015 at 8:40pm

बढ़ो तुम जरा से बढ़ें हम जरा से,

 मिलन की कहीं से शरुआत होगी         बहुत सुन्दर आदरणीया दीदी .

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2015 at 8:33pm

आ० जवाहर लाल सिंह जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2015 at 8:32pm

आ० मुकेश श्रीवास्तव जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सफल हुआ दिल से आभार आपका सादर 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 10, 2015 at 8:15pm

मुझे चाहिए मेहनतों के  निवाले,

जिये रहमतों पर तेरी जात होगी.

मुहब्बत हमारी जहाँ कैद हो वो 

,बड़ी खूबसूरत हवालात होगी

वैसे हर पंक्तियाँ खूबसूरत हैं पर उपर्युक्त ख़ास लगी  मुझे आदरणीया राजेश कुमारी जी!

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on July 10, 2015 at 11:43am

बधाई  मित्र - सुन्दर रचना के लिए -


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 9, 2015 at 7:28pm

राहुल दांगी जी ,आपका तहे दिल से आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 9, 2015 at 7:27pm

आ० धर्मेन्द्र जी , ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहित हूँ दिल से बहुत बहुत आभार आपका |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service