For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मरासिम.............."जान" गोरखपुरी

२२१  २१२१     १२२१   २१२

 

ये हैं मरासिम उसकी मेरी ही निगाह के

तामीरे-कायनात है जिसका ग़वाह के

..

सजदा करूँ मैं दर पे तेरी गाह गाह के

पाया खुदा को मैंने तो तुमको ही चाह के

 ..

हाँ इस फ़कीरी में भी है रुतबा-ए-शाह के

यारब मै तो हूँ साए में तेरी निगाह के

 ..

जो वो फ़रिश्ता गुजरे तो पा खुद-ब-खुद लें चूम

बिखरे पडे हैं फूल से हम उसकी राह के

 ..

छूटा चुराके दिलको वबाले-जहाँ से मैं

ऐ “जान” हम हुए हैं मुरीद इस गुनाह के

********************************************

मौलिक व् अप्रकाशित (c) "जान" गोरखपुरी

*******************************************

Views: 2821

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 21, 2015 at 9:09pm

इस पर ध्यान दिलाने के लिए आभार भाई manoj जी तामीर और कायनात दोनों ही शब्द स्त्रीलिंग है उसके हिसाब से जिसकी करना ठीक होगा ,पर हम पहले वाक्य को समझ लें..//तामीरे-कायनात है जिसका ग़वाह के// इस मिसरे का सीधा सा अर्थ कुछ यूँ हुआ..सृष्टि का निर्माण जिसका गवाह है...यहाँ पर जिसकी शब्द बैठ नही रहा है..गवाह है से अर्थ सबूत है से है! न की व्यक्ति से!!...तामीरे-कायनात क्रिया हुयी कर्ता छिपा हुआ है!..और गेयता के हिसाब से भी जिसका का प्रयोग मुझे बेहतर लग रहा है,आगे गुनीजनो से मार्गदर्शन निवेदित हैं..

Comment by मनोज अहसास on June 21, 2015 at 6:45pm
आदरणीय
तामीर ए कायनात के साथ जिसका शब्द सही है
या जिसकी आना चाहिए
ये समझ नहीं आ रहा
कृपिया पुनः स्पष्ठ करे।
सादर
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 20, 2015 at 11:46pm

बहुत शुक्रिया आ० विनय सर!आभार!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 20, 2015 at 11:43pm

आ० भाई मनोज जी आभार गजल को मान देने के लिए..

मरासिम = रस्में

तामीरे-कायनात = सृष्टि का निर्माण

मतले के मुश्किल शब्दों के अर्थ दिए है,उम्मीद है के अब आप बेहतर समझ पायेंगें! मानव और सृष्टि की उत्पत्ति के संदर्भ में मैंने मतले का शेर रक्खा है....  'आदम' और 'हव्वा' की जो कथा है आप उस दायरे में भी इसे समझ सकते है..बहुत कुछ!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 20, 2015 at 11:25pm

आ० नरेन्द्र सिंह जी हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 20, 2015 at 11:23pm

परम आ० गोपाल सर हार्दिक आभार!सादर!

Comment by विनय कुमार on June 20, 2015 at 3:03pm

बहत बढ़िया गजल . मुबारक हो आदरणीय कृष्ण मिश्रा जान गोरखपुरी जी..

Comment by मनोज अहसास on June 20, 2015 at 1:52pm
बहुत खूबसूरत
हमेशा की तरह
पर मतला समझ नहीं आया
थोडा बता दे
सादर
Comment by narendrasinh chauhan on June 20, 2015 at 1:39pm

खूब सुन्दर गजल के लिए मुबारक हो

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 20, 2015 at 1:08pm

प्रिय कृष्णा

बहत बढ़िया गजल . मुबारक हो .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। आ. नीलेश भाई ने अच्छा मार्गदर्शन किया है। इससे यह…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यूँ तो पूरी गजल ही लाजवाब हुई है पर ये दो शेर पर अतिरिक्त बधाई…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी नमस्कार बहुत खूब ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार करें सभी शैर बहुत अच्छे…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश नूर जी, ग़ज़ल पर अपकी टिप्पणी के लिए आभार पर कुछ विस्तार से मार्ग दर्शन करते तो अच्छा…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय' जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका अपने समय दिया कुछ त्रुटियों की…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास है। तीन शेर 4,5, व 6 तो बहुत अच्छे लगे। बधाई…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं में कुछ ग़ल़त नहीं है। हुआ अपने आप में पूर्ण शब्द…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी टिप्पणी के अनुसार काफिया में कोई कमी हे तो स्पष्ट समझायें। कुछ उदाहरण…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"तौर-ए-इमदाद ये भला तो नहीं  शहर भर में अब इतना गा तो नहीं     मर्ज़ क्या है समझ…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का मतला भरपूर हुआ है। अन्य शेर आयोजन के बाद संवारे जाने की मांग कर रहे…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ दयाराम मैठानी जी। आपके द्वारा इंगित मिसरा ऐसे ही बोला जाता है अतः मैं इसे यथावत रख रहा…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. अजय जी"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service