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अब जो जायेंगे......."जान" गोरखपुरी

 २१२२     २२१२      २१२२      २२

 

अब जो जायेंगे उस गली तो सबा छेड़ेगी

वारे उल्फ़त! मुझको मेरी ही वफ़ा छेड़ेगी

 ..

जिसको आँखों में भरके फिरते थे हम इतराते

हाय जालिम तेरी कसम वो अदा छेड़ेगी  

..

  जो गुजरते हर एक दर पे थी हमने मांगी  

राह में मिलके मुझसे वो हर दुआ छेड़ेगी

..

 वो जो बातें ख्यालों की ही रह गई बस होकर

बेसबब बेवख्त आ मुद्दा बारहा छेड़ेगी

..

 सुनते ही जिसको तुम चले आते थे दौड़े

हाँ फजाओ में गूंजती वो सदा छेड़ेगी

..

 

चूम के हाथ अपने  हवाओं के बोसे देना

अब तो सांसों की आती जाती हवा छेड़ेगी

..

था नजर आया जिनमे वो ’जान’ सौ रंगों में

अरगनी से लिपटी पड़ी वो कबा छेड़ेगी

*****************************************

मौलिक व् अप्रकाशित (c)"जान" गोरखपुरी

*****************************************

 

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Comment

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Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 5, 2015 at 2:54pm

सादर आभार आ० वीनस सर!आपकी उपस्थिति से सीखने की लगन में ज्वार आ जाता है!

ये गजल अस्ल में ४-५ साल पुरानी रचना का परिवर्तित रूप है दिल के बहुत करीब थी तो बहर में रखने का प्रयास किया था!

Comment by वीनस केसरी on July 5, 2015 at 1:47am

सुन्दर प्रयास है

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 3, 2015 at 8:33pm

आ० भाई केवल प्रसाद जी सादर आभार!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 3, 2015 at 8:31pm
हार्दिक आभार आ० गिरिराज सर!
सादर!
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 3, 2015 at 7:06pm

खूबसुरत गज़ल के लिये ढेरो दाद कुबूल करे. आ0 जान भाई जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 3, 2015 at 6:14pm

आदरणीय कृष्णा भाई , बहुत बढ़िया गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ आपको ।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 3, 2015 at 9:50am

आ० shree सुनील जी तहेदिल से शुक्रिया!!..मेरे ख्याल से 'जाऊँगा' व्याकरण की दृष्टी से ज्यादा सही है,पर गायन में ''जायेंगे'' ज्यादा फब रहा है! सादर!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 3, 2015 at 9:30am

हार्दिक आभार आ० मिथिलेश सर!मार्गदर्शन बनाये रक्खे आदरणीय!

सादर!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 3, 2015 at 9:29am

आभार भाई महर्षि त्रिपाठी! सस्नेह!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 3, 2015 at 9:28am

हार्दिक आभार आ० महिमा जी!

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