For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे दिल के हर इक कोने से पोशीदा अलम निकले- शिज्जु शकूर

1222/1222/1222/1222

मेरे दिल के हर इक कोने से पोशीदा अलम निकले

सो जो अल्फ़ाज़ निकले दिल से बाहर वो भी नम निकले

 

गुजश्ता* वक्त का कोई निशाँ बाकी नहीं लेकिन                                     *गुज़रा हुआ

उसी की जुस्तजू में दिल से खूँ ही दम ब दम निकले

 

किया जिस वास्ते किस्मत से शिकवा मैंने ऐ ग़मख़्वार

हकीकत में वो सारे ज़ख्म तो तेरे सितम निकले

 

किसी खूँख्वार* को मतलब नहीं ईमानो दीं से कुछ                               *रक्त पिपासु

तू आँखें खोल के देखे तो फिर तेरा वहम निकले

 

मैं ख़ूगर* इस कदर तन्हाइयों का हो गया यारो                                   *आदी

बड़ी मुश्किल से बाहर आज मेरे ये कदम निकले

 

वफा तुमने निभाई जो रवायत तोड़कर ऐ दोस्त

तुम्हारे वास्ते हर कायदे को भूल हम निकले

 

-मौलिक व अप्रकाशित

 

Views: 1685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 2, 2015 at 6:20pm

क्या बात है ! आदरणीय  शिज्जु  भाई , हर शे र जानदार  है , और सुधारे हुये शे र भी पहले से जियादा अच्छे हुये हैं ॥ आपको   हृदय से बधाइयाँ  पूरी गज़ल के लिये ॥

Comment by MAHIMA SHREE on May 2, 2015 at 5:16pm

मेरे दिल के हर इक कोने से पोशीदा अलम निकले

सो जो अल्फ़ाज़ निकले दिल से बाहर वो भी नम निकले ...बहुत खूब ..

बहुत खूबसूरत .गज़ल है..बहुत बहुत बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 2, 2015 at 3:30pm

जनाब समर कबीर साहब सबसे पहले तो आपका बहुत बहुत शुक्रिया। जी आपने हरम के जो मतलब बताये वो मुझे पता थे लेकिन मैंने कई उस्ताद शुअरा की किताबों में हरम को मस्जिद के अर्थों में प्रयुक्त होते देखा है, हालाँकि ये कितना सही था ये मुझे नही मालूम,आपका बहुत बहुत शुक्रिया। दूसरे हर्फ़े इजाफ़त को लेकर मैं अब भी मुतमईन नहीं हूँ चूँकि आपका इल्मो तज्रिबा दोनों जियादा है इसलिये आपका सुझाव सर आँखों पर दोनों इस्लाह कुबूल करता हूँ और जल्द ही दोनो मिसरे बदल के फिर पोस्ट करता हूँ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 2, 2015 at 3:05pm

आदरणीय उमेश जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 2, 2015 at 3:04pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Samar kabeer on May 2, 2015 at 3:00pm
जनाब शिज्जू "शकूर" जी,आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |

मतले का ऊला मिसरा:-

"मेरे गोशा ए दिल से लफ़्ज़ जो निकले वो नम निकले"

सही शब्द है गोश-ए-दिल |

"किसी खूँख्वार* को मतलब नहीं ईमानो दीं से कुछ *रक्त पिपासु
वगरना देखता वो शह्र में कितने हरम* निकले *मस्जिद"

इस शैर में "हरम" का मतलब आपने मस्जिद लिखा है जबकि "हरम" का सही मतलब है "काबे की चार दीवारी" जहाँ जानदार का मारना हराम है ,दूसरा मतलब "शरीफ़ों का ज़नान ख़ाना" तीसरा मतलब " मनकूहा बीवी" ,चौथा मतलब है "कनीज़" |
Comment by umesh katara on May 2, 2015 at 11:32am

गुजश्ता* वक्त का कोई निशाँ बाकी नहीं लेकिन                                     *गुज़रा हुआ

उसी की जुस्तजू में दिल से खूँ ही दम ब दम निकले
----------------वाहहहहहहहहह  जबरदस्त साहेब 

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 2, 2015 at 10:13am
किसी खूँख्वार* को मतलब नहीं ईमानो दीं से कुछ
वगरना देखता वो शह्र में कितने हरम* निकले ॥
बहुत खूब , आदरणीय शिज्जु शकूर जी, बधाई, बहुत बहुत , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service