For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विष से अमरता - लघुकथा

ब्रह्मा बड़ी शांति से इंद्र की बात सुन रहे थे, "पूजनीय, धरती पर आर्यव्रत नामक स्थान सोने की चिड़िया कहलाता है। कई अविष्कार हुए हैं, वेद लिखे गए, महाकाव्य लिखे गए, कितने ही उत्तम शास्त्र भी लिखे गए। सभी नागरिक स्वस्थ, सुखी और संपन्न हैं। श्री कृष्ण ने वेदों का परिष्करण कर अमर-अजर आत्मा की अवधारणा तक दे दी है।"

“सत्य है, लेकिन ईर्ष्या और स्वार्थ के कारण आपसी फूट आत्मा की तरह ही रोग, दुःख और विपन्नता को अमर कर देगी।“ वाणी में भारीपन था|

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 423

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on April 3, 2015 at 5:54pm

हार्दिक आभार आ० सौरभ पांडे जी !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2015 at 12:40pm

प्रयासरत रहें, भाई चन्द्रेशजी. सार्थक प्रयास के लिए हार्दिक बधाई.

इस संदर्भ में मुझे पाटलिपुत्र (आजका पटना) को लेकर कहे चाणक्य के अमर वाक्य का स्मरण हो रहा जिसका भावार्थ यही है कि समस्त समृद्धियों के बाद भी यह नगरी सद-सदा आग, पानी तथा आपसी कलह से विपन्न होती रहेगी.

कहना न होगा, पटना को जाननेवाले भलीभाँति जानते हैं कि आजभी पटना की विपन्नता के लिए यही तीनों कारक सबसे अधिक प्रभावी हैं.

शुभेच्छाएँ

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on April 3, 2015 at 12:14pm

आदरणीय  डॉ. विजय शंकर जी, लघुकथा के इस गहरे विश्लेषण के हृदय से प्रणाम अर्पित करता हूँ|

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 3, 2015 at 7:07am
आपकी ब्रह्म-वाणी की अमर कथा बहुत ही गम्भीर चिंतन चाहती है, संक्षेप में , विष एक वास्तविकता है , अमृत एक कल्पना है , वास्तविकता को विजित किया जा सकता है, वह सरल है , व्यवहारिक है , कल्पना को साकार करना एक बड़ी चुनौती है। सम्प्रति वह आज भी , अभी भी एक कल्पना ही है।
आदरणीय चंद्रेश कुमार जी इस प्रस्तुति के लिए बधाई , आपने एक बहुत महत्वपूर्ण बात सामने रखी है , सादर।
Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on April 3, 2015 at 12:33am

आप सभी आदरणीयजनों  का  हार्दिक आभार, इस रचना को पढने समझने के लिये| लघु कथा में मुझे भी कमियां लग रहीं थी, थोड़ा  सा परिवर्तन किया है कृपा कर पुनः नज़र फरमावें!!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 2, 2015 at 12:07pm

आ० छात्लानी जी

 कथा -लेखन के लिए अभी आपको और मेहनत  करने की आवश्यकता है . प्रयास करते रहे .

Comment by somesh kumar on April 2, 2015 at 11:33am

क्या यह लघुकथा है ?

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 2, 2015 at 11:28am

सुंदर और  अर्थपूर्ण चिंतन  

Comment by Shyam Narain Verma on April 2, 2015 at 10:51am
बहुत-बहुत बधाई इस शानदार लघु कथा के लिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के।लिए सादर"
2 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
3 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
5 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आपका टिप्पणी व सुझाव के लिए हार्दिक आभार। एक निवेदन है कि — काम की कोई मानता…"
35 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है।  ग़ज़ल 2122 1212 22 .. इश्क क्या…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service