212 212 212 212
कैसे कमसिन उमरिया जवां हो गयी
दिल से दिल की मुहोबत बयां हो गयी
ख्वाब आँखों से अब मत चुराना कभी
नींद सपनों पे जब मेहरबां हो गयी
फूल बन के खिली गुलबदन ये कली
आरजू फिर महक की जवां हो गयी
प्यार की बात हमने छुपाई बहुत
लोग सुनते रहे दासतां हो गयी
होंठ जबसे मिले होंठ ही सिल गए
कैसे चंचल जुबां बेजुबां हो गयी
दोस्त आगोश में आशना ऐ “निधी”
आज मन की जमीं आसमां हो गयी
निधि
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
अजनबी तुमने देखा हमें इस तरह---दुरुस्त है बहुत अच्छा गुड
रही बात महरबां या मेहरबाँ/मेह्रबां तो मेरा संशय सिर्फ मात्राओं को लेकर है क्या मेह+र+ बां =२१२ में क्या ह साइलेंट हो सकता है या म+हर+बां = १२२ होगा ? मैं गुणी जनो से ये संशय दूर करना चाहती हूँ ?
आदरणीया राजेश कुमारी जी ... रचना पर आपकी उपस्थिती और स्नेहिल प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ .. बहुत बहुत धन्यवाद
आपके सुझाव सर माथे पर
महरबां शब्द मैंने उर्दू उच्चारण के हिसाब से लिया.. गाते वक़्त भी मे की जगह म ही आ रहा था ..दुसरे मात्राओं में मेहरबां फिट नहीं हो रहा था .. इसलिए थोड़ी सी छूट क्षमासाहित ली है
अजनबी जबसे देखा हमें इस कदर .. इसमें करता का "ने" गौण रखा था ..
"अजनबी ने हमें देखा" कहने पर २१२ २१२ २२२ हो जा रहा है. और गायन में अटक रहा है
लेकिन इसे सुधार कर ऐसे कर सकती हूँ
अजनबी तुमने देखा हमें इस तरह ....ऐसे में "ने" पर मात्रा गिरानी जरुर पड़ती है लेकिन गायन में ठीक जा रहा है
आपकी अनुमति चाहूंगी
अद्भुत !
आपकी ग़ज़ल की भावदशा से हम बहुत आशान्वित हैं, आदरणीया निधि जी..
बहुत बहुत बधाइयाँ..
बहरहाल, हिन्दी मे लिखा गया मेहरबां शब्द उर्दू उच्चारण के अनुसार से महरबां ही पढ़ा जाता है.
लेकिन ये श्रृंगार कौन सा शब्द है ? शृंगार शब्द शुद्ध है बाकी अशुद्ध अक्षरियाँ हैं जो चलन में हैं.
आ० निधि जी सुन्दर गजल पर बधाइयाँ!
आदरणीया निधि जी सुन्दर ग़ज़ल, बाकी आदरणीया राजेश जी एवम् आदरणीय मिथिलेश भाई ने कह ही दिया है , इससे इसमें और निखार आ जाएगा , हार्दिक बधाई आपको ! सादर
सुन्दर ग़ज़ल.
बधाई.
आदरणीया निधि जी सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई
अजनबी जबसे देखा हमें इस तरह ......... अजनबी ने हमें देखा कुछ इस तरह
सुन्दर ग़ज़ल लिखी है निधि जी ,हार्दिक बधाई आपको
दो बातों में संशय है ---
नींद सपनों पे जब महरबां हो गयी----इसमें आपने महरबां को २१२ मात्रा में बांधा है किन्तु मेरे हिसाब से सही शब्द मेह्रबां होता है /उसकी मात्रा २१२ होती है या २२२ होगी ,बाकी गुणीजन मेरा भी संशय दूर करेंगे
दूसरा संशय ---अजनबी जबसे देखा हमें इस तरह ---इसमें अजनबी(कर्ता) के बाद ने की कमी खल रही है इसको इस तरह लिखें तो कैसा रहे ----अजनबी ने हमे देखा जब इस तरह
आपको बहुत बहुत बधाई
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