For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रख दिए उसने

छोटी सी अटैची में   

कुछ कपडे सहेज के

जो जरूरी हैं सफ़र के लिए

क्योंकि वह पत्नी है जानती है

मेरी आवश्यकताये  

 

मै जानता हूँ

उसमे क्या होगा

एक जोड़ी कपडे, कच्छा-बनयाईन

परफ्यूम की शीशी, शेव का सामान

एक टूथ-ब्रश, जीभी और पेस्ट

छोटा सा कंघा, फकत एक शीशा

लंच का पैकेट भी  

 

है कुछ मेरी

अपनी भी तैयारियां 

पसंद का रूमाल सादा और साफ़

जरूरत से कुछ अधिक चमड़े का पर्स

नजर का चश्मा, नियमित दवाइयां

जरूरी कागजात और दो चार पेन

चल पड़ता हूँ निर्दिष्ट सफ़र पर

द्वार तक आती है मुझे वह भेजने -

‘अच्छी तरह जाना, पहुँचते ही फोन करना

जल्दी ही लौट आना’

 

 

मै आश्वस्त हूँ

पथ चाहे कैसा हो पाथेय साथ है

मन ही मन हँसता हूँ फिर यह सोचता हूँ  

छोटे से सफ़र की भी इतनी सी टेंशन

और सिर्फ मै ही नहीं पत्नी भी शामिल है

मेरे इस टशन में

 

पर मन बावरे !

क्या कभी सोचा है

एक दिन जाना है अनजान पथ पर

अजाने सफ़र पर अनजानी मंजिल पर

जहाँ सिर्फ जाना है वापस नहीं आना है

एक छोटे सफ़र की इतनी तैयारी की

तो उस यात्रा की क्या तैयारी है ?

 

मन निर्वाक्

मै भी अवाक् !

क्या तैयारी की ----? कुछ भी तो नहीं

और इस यात्रा का क्या है भरोसा

कभी भी किसी क्षण शुरू हो सकती है

बिना बताये बिना कोई अवसर दिए

यह महायात्रा ---

 

इसकी तैयारी

तुम्हे ही करनी थी

इस घोर यात्रा में कौन साथ आता है

भाई न बहन, पत्नी न बेटे

इस पथ का पाथेय यात्री स्वयं जुटाता है

पत्नी भी नहीं करती कोई सहायता

कर ही नहीं सकती

  

तो-------

क्या किया तुमने ?

या बस जिया तुमने

कितने वर्ष ईश्वर ने तुम्हे प्रदान किये

कितने ज्ञान और कर्म-इन्द्रिय दान किये

बार-बार चेताया वार्धक्य लक्षण से

समय अब कम है अटैची संभालो

जीवन में संचित किया

पाथेय डालो 

 

जानते है सब

मानते है सब

पर कोई संबल जुटा नहीं पाता है

अंत समय आने पर जीव पछताता है

मुठ्ठी भरकर आने वाला खाली हाथ जाता है

उनमे कोई बेनाम, कोई सूर-तुलसी,

कोई कबीर कहलाता है

 (मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 704

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 8, 2015 at 7:26pm

जीतू भाई

आपका सादर आभार i

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 8, 2015 at 7:18pm

''वार्धक्य लक्षण'' आदरणीय इस प्रकार के शब्दों का अर्थ भी रचना के साथ संलग्न करने की कृपा करे! तो शब्दकोश में वृद्धि होगी!

सार्थक रचना!! अभिनन्दन!!

Comment by Hari Prakash Dubey on March 8, 2015 at 11:54am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर, जीवन की इस भौतिक यात्रा और परालौकिक यात्रा का सुन्दर दर्शन समेटे है आपकी यह कविता ,

मन निर्वाक्

मै भी अवाक् !

क्या तैयारी की ----? कुछ भी तो नहीं

और इस यात्रा का क्या है भरोसा

कभी भी किसी क्षण शुरू हो सकती है

बिना बताये बिना कोई अवसर दिए

यह महायात्रा ---सार्थक सन्देश देती रचना पर आपको हार्दिक बधाई ! सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 8, 2015 at 11:53am

रचना की एक सुंदर भाव ली हुई शुरुआत, अचानक फिर एक कटु सत्य का उभर आना. अच्छा भी लगा और... बदरहाल प्रस्तुति पर बधाई आदरणीय डा.गोपाल जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
30 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
21 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service