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“भारतीय कुत्ता” (लघुकथा)

“अरे यार ओबामा साहब के रास्ते में कुत्ता आ गया, सुरक्षा व्यवस्था में भयंकर चूक हो गयी, अगर उसमें बम लगा होता तो?”

“कुछ नहीं यार “भारतीय कुत्ता” था, जान दे देता पर ओबामा साहब को कुछ नहीं होने देता, यार देश की इज्ज़त का सवाल था आखिर ।" जय हिन्द !

 

हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Hari Prakash Dubey on January 27, 2015 at 7:28pm

शिशिर जी , आपका धन्यवाद ! सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 27, 2015 at 3:05pm

गजब का कटाक्ष, आदरणीय हरिप्रकाश जी. अन्यथा न लें, मेरे विचार से शायद!  तीन दिनों से चौबीसों घंटे न्यूज चैनलों पर, अतिथि बाजी देख-देखकर आपकी लेखनी रुक नही पाई .... :)))

Comment by khursheed khairadi on January 27, 2015 at 11:07am

भारतीय कुत्ता” था, जान दे देता पर ओबामा साहब को कुछ नहीं होने देता

आदरणीय हरिप्रकाश जी सर ,क्या ख़ूब समसामयिक व्यंग्य है |भारतीय कुत्ते की वफ़ादारी जग प्रसिद्ध है ,किंतु इनके टिके नहीं लगे होते हैं ,जब काट ले तो ........हा ..... हा ... खैर ...रचना अनुपम है |सादर अभिनन्दन |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 27, 2015 at 8:58am

ग़ज़ब ! रचनात्मकता के साथ सामयिक घटना शाब्दिक हुई है. हार्दिक बधाई, आदरणीय हरिभाईजी.

मैं आदरणीय विनोद खनगवालभाई से सहमत हँ. मै भी यही कहने जा रहा था कि ’जय हिन्द’ से क्या अपेक्षित है ? कि, आदणीय विनोदभाई की टिप्पणी दिख गयी. 

सादर

Comment by विनय कुमार on January 27, 2015 at 2:05am

एक चुटीली लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें ..

Comment by विनोद खनगवाल on January 26, 2015 at 11:06pm
आदरणीय हरि प्रकाश जी। बहुत ही तेज सामयिक लघुकथा प्रस्तुत की है। इसके लिए बधाई स्वीकार करें।
जय हिन्द! का तात्पर्य कुछ समझ नहीं आया। कुछ अटपटा सा भी लगा। क्या इसके बिना काम नहीं चल सकता है?
Comment by kanta roy on January 26, 2015 at 10:23pm
वाह !! क्या बात है । भारतीय कुत्ता आखिर भारतीय धर्म ही निभायेगा । जबरदस्त कथा । बधाई स्वीकार करे आ.हरि प्रकाश दुबे जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 26, 2015 at 9:45pm

बहुत खूब 

Comment by Shishir Dwivedi on January 26, 2015 at 9:41pm
बहुत अच्छी रचना

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