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पंचायती अल्ट्रासाउंड (लघुकथा)

"सरपंच साहब, रमेश नंबरदार की लड़की ने अपने ही गांव के लड़के के साथ भागकर शादी कर ली है। इससे पूरे गांव की नाक कट गई है। अब कानून भी इन लड़कियों का ही साथ देता है अपनी इज्जत बचाने के लिए इसका समाधान किया जाना जरूरी हो गया है।"
"ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी। एक काम करते हैं पंचायती अल्ट्रासाउंड मशीन ले आते हैं।"


मौलिक और अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 17, 2015 at 12:29pm

भ्रूण हत्याओं के पीछे एक सोच ये भी है ,अच्छी प्रभावी लघु कथा .बधाई आपको .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 15, 2015 at 11:50pm

ग़ज़ब !

इस लघुकथा केलिए हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 15, 2015 at 10:42pm

आ. विनोद भाई , सुन्दर लघुकथा  के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ  ॥

Comment by Hari Prakash Dubey on January 15, 2015 at 8:28pm

आदरणीय विनोद जी  जबरदस्त रचना ..भ्रूणहत्या का नया तरीका....सार्थक लघुकथा ,बधाई आपको !

Comment by Shyam Narain Verma on January 15, 2015 at 9:53am

अति सुन्दर लघु कथा। बधाई।

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 14, 2015 at 10:58pm
वाह ! वाह रे वैज्ञानिक सोच , वाह रे विज्ञान का उपयोग। कई बार सोचता हूँ , इस देश को हुआ क्या है? जवाब हाजिर है।
एक बात और , हम प्रशासन में पंचायती राज पढ़ाते हैं। हम पंचायती राज के सबल हिमायती हैं।
आदरणीय विनोद खनगवाल जी , अच्छी प्रस्तुति है , बधाई. सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 14, 2015 at 10:35pm

दिलोदिमाग को झंकझोर दिया इस लघुकथा ने ..........

अपने मर्म को अभिव्यक्त करने में सफल लघुकथा .... 

गज़ब प्रहार किया है इस सधे हुए कथानक ने 

आदरणीय विनोद जी आपकी इस उकृष्ट प्रस्तुति के लिए धन्यवाद 

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