For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सच! विगत वर्ष की तरह.. (अतुकांत)

वर्ष फिर बीत गया

यूँ दे गया, अनुभव

जीने के

लड़ने के,  अंधेरों से

रौशनी के लिए

सत्य से सत्य को

छीन लिया

असत्य से असत्य

 

छोड़े भी और मांग भी लिए

अधिकारों को

थोड़ी सी घुटन में

राहों में चलते रहे

अपनों के साथ

अपनों के ही लिए

 

जान लिया, पहचाना भी

समझ भी तो गये

अँधेरा और दुःख

दोनो ही तो, चाहिए

रौशनी और सुख के साथ-साथ

बड़ा अच्छा लगता है

इनके बीच की

दूरियों को पाटना

अनुभव भी तो मिलता है

पल-पल, पहर दर पहर

सुबह से शाम,  और

शाम से रात तक

ताकि, आती रहें यूँ ही

नयी-नयी सुबहें

नये संघर्ष लेकर,

हर वर्ष

सच!  विगत वर्ष की तरह..

 

  जितेन्द्र पस्टारिया 

(मौलिक व् अप्रकाशित)   

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 13, 2015 at 11:12am

रचना पर आप सभी की उपस्थिति व् स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु आप सभी का आभारी हूँ.

सादर !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 2, 2015 at 1:13pm

आती रहें यूँ ही

नयी-नयी सुबहें

नये संघर्ष लेकर,

हर वर्ष

सच!  विगत वर्ष की तरह------------------------ ati sundar jeetu bhaiyya .

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 1, 2015 at 11:18pm
साल बिताने में पूरा साल गुजर जाता है,
कितने अनुभव देता जाता है ,
खट्टे - मीठे , हॉट एन कूल,
कभी - कभी , बस बन गए फूल।
जाने दो, नये साल को आने दो ,
अनुभवों को भुनाने दो।
नव वर्ष , नव हर्ष,
सहर्ष , हो उत्कर्ष।
सबका शुभ हो , सबका हो उत्कर्ष।
प्रिय जीतेन्द्र जी, आपकी रचना ने प्रेरित किया , लिख दिया, आपको बहुत बहुत बधाई एक सुन्दर प्रस्तुति पर, शुभ, शुभ।
Comment by somesh kumar on January 1, 2015 at 8:55pm

जान लिया, पहचाना भी

समझ भी तो गये

अँधेरा और दुःख

दोनो ही तो, चाहिए

रौशनी और सुख के साथ-साथ

बड़ा अच्छा लगता है

इनके बीच की

दूरियों को पाटना

अनुभव भी तो मिलता है|

समय पर अच्छा विमर्श है इस कविता में ,रोशनी ऐसे लिखें ,नव वर्ष की आपकी नव प्रस्तुति पर थे दिल से बधाई 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 1, 2015 at 7:48pm

ताकि, आती रहें यूँ ही

नयी-नयी सुबहें

नये संघर्ष लेकर,......बहुत बढ़िया प्रस्तुति

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी, हार्दिक बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 7:10pm

आदरणीय जितेन्द्र जी बहुत सुंदर रचना है बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना के लिये


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 1, 2015 at 7:07pm
नववर्ष की शुभकामनायें और इस प्रस्तुति हेतु बधाई
Comment by Shyam Narain Verma on January 1, 2015 at 4:12pm

 सुन्दर अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई।

Comment by khursheed khairadi on January 1, 2015 at 2:07pm

पल-पल, पहर दर पहर

सुबह से शाम,  और

शाम से रात तक

ताकि, आती रहें यूँ ही

नयी-नयी सुबहें

नये संघर्ष लेकर,

हर वर्ष

सच!  विगत वर्ष की तरह..

 आदरणीय जितेंदर जी , नवल भावाभिव्यक्ति है | अतुकांत में भी गीत सा प्रवाह और गति है | आपको नववर्ष की शुभकामना सहित -सादर अभिनन्दन 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 1, 2015 at 10:47am

सच ! विगत वर्ष की तरह, जो कुछ अनुभव दे जाता है, इसीलिए तो जाने वाले की विदाई पर आभार व्यक्त किया जाता है | सुंदर भाव रचना के लिए  हार्दिक  बधाई -

स्वागत हो नव वर्ष का,लेता विदा अतीत,

समय लगे शुभ काज में, सार्थक समय व्यतीत

नए वर्ष का आगमन, खुशिया मिले हजार, 

समय चक्र गतिशील है, समय जायगा बीत |

-लक्ष्मण रामानुज  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
23 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service