For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बदल रहा समाज बदल रहा कल आज

बीच चौराहे आ जाती अक्सर घर को लाज

सामान्य से हो रहे विवाहेत्तर सम्बन्ध

धुंधले से पड़ गये, दिल के सब अनुबंध

हर किसी को चाहिए जरुरत से ज्यादा "मोर"

भौतिकता जागी है सारे बंधन तोड़

जितना मिले उतना जगे, ज्यादा पाने की आस

कम हो गयी सहनशीलता बढ़ गयी है प्यास

हर किसी को चाहिए अस्तित्व की खोज

कमजोर हो रहे है रिश्ते, दरक रहे है रोज

आया नया ज़माना है कुछ खोकर कुछ पाना है

समय की बहती धारा में साथ ही बहते जाना है

 

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 650

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sarita panthi on December 24, 2014 at 9:51pm

आ.somesh kumar जी, एवं आ. JAWAHAR LAL SINGH उचित मार्गदर्शन के लिए ह्रदय से आभार आप दोनों गुनिजन का 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 24, 2014 at 7:55pm

श्री somesh kumar जी से सह्मत !

Comment by somesh kumar on December 23, 2014 at 9:50am

मैं भी नहीं हूँ पारखी कोई विधा-विशेष

केवल लिखता जा रहा मन के भाव-आवेश 

लिखते-लिखते ही मिलेगा तुमकों संधान 

घिस-घिस रसरी छोड़ती पाथर पे पहचान

लिखते हुए सीखें और पढ़ते हुए सीखें 

Comment by sarita panthi on December 23, 2014 at 8:57am

आ. somesh kumar जी, आ. गिरिराज भंडारीजी आप सभी से क्षमा प्राथी हूँ मुझे किसी भी विधा का कोई ज्ञान नही है ना ही सूत्र और ना ही परिभाषा .. सिर्फ दिल के भाव लिखती हु अगर आप मुझे कोई पुस्तक सूझा सके जिस से में अपना ज्ञान बढ़ा सकूँ तो अति आभारी रहूंगी . 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 23, 2014 at 8:52am

आदरणीया सरिता जी , सुन्दर विचार , भाव पूर्ण रचना के लिये बधाइयाँ ।

आदरणीया , जब तक आप विधा का उल्लेख नहीं करेंगी कोई भी सलाह देने मे असमर्थ ही रहेगा अतः आपने रचना किस विधा में की है इसका उल्लेख अवश्य किया कीजिये ॥ सादर ॥

Comment by somesh kumar on December 22, 2014 at 11:46pm

पहले तो सरिता पंथी जी आपको बधाई |आ. गोपाल जी आप ने इसे गज़ल लिखकर मुझे असमंजस में डाल दिया ,पहले ही रदीफ़,काफिया ,मिसरे समझ से परे हो रहे हैं ,मुझे तो हर दो पंक्तियों में दोहों की अनुभूति हुई ,कृपया मार्गदर्शन करें |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 22, 2014 at 8:12pm

आदरणीया सरिता जी बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति है इस सरस रचना के लिय बधाई सादर,

Comment by sarita panthi on December 22, 2014 at 7:37pm

 आ. Dr. Vijai Shanker जी, आ. Shyam Narain Verma जी, आ.मिथिलेश वामनकर जी, आ.narendrasinh chauhan जी, आ. डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आप सभी गुणवान है आप सभी ने मेरे इस तुच्छ सी रचना को अपनी नजर देकर उच्च स्तर पर पंहुचा दिया है . आप सभी का कीमती समय मुझे प्राप्त हुआ इसके लिए सदा ही आभारी रहूंगी और आशा करती हु की निसंकोच मुझे मेरी त्रुटियों से अवगत कराते रहेंगे |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 22, 2014 at 1:22pm

सरिता पंथी जी

सुन्दर गजल i

Comment by Hari Prakash Dubey on December 22, 2014 at 1:12pm

 सुन्दर रचना के लिए बधाई, आदरणीय सरिता पंथी जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
6 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service