For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sarita panthi's Blog (12)

एक ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

प्यार करते हो हमें गर, साथ चलकर देखना।

जल रहे जिस आग में हम, तुम भी जलकर देखना।।



एक गठरी बांधकर, मैंने सवालों की रखी।

दिल में आ जाए कभी, दो एक हल कर देखना।।



रास्ता बाहर का दिखलायेंगे अपने, आपको।

है अगर साहस तो लहरों सा, मचलकर देखना।।



हूँ मैं सोना आग में जलना, ही मेरा काम है।

दर्द मेरा जान जाओगे, पिघलकर देखना।।



जागता है साथ मेरे, ये बिछौना रातभर।

चाहती हूँ एक दिन इसको, बदलकर देखना।।



सामने से… Continue

Added by sarita panthi on December 6, 2016 at 7:12pm — 3 Comments

एक गज़ल

122    122    122    122

बचा कर रखेगी दुआ हादसों से,

करो अबसे तौबा बुरी आदतों से|

कदम अब बढे है जमाने से आगे,

नहीं रोक सकते हमें पायलों से|

करार तमाचा जवाबी मिलेगा,

रहें अपने घर में कहो दुश्मनों से|

गरीबों को मारा खुले आसमाँ ने,

बरसती है आफत यहाँ बादलों से|

लो मुश्किल हुआ अब यहाँ सांस लेना,

हुए शेर मुजरिम गलत फैसलों से|

सजा बन रहे है मरासिम हमारे,

मिलेगी मुहब्बत…

Continue

Added by sarita panthi on September 22, 2016 at 8:00am — 4 Comments

गज़ल

श्रृंगार से ये तन तुम, यूँ और मत सजाओ,

छूते हुए लगे डर, फौलाद अब बनाओ।।



मेहंदी सुहाग चूड़ा, कमजोरी की निशानी,

हाथों में लो कलम तुम, तलवार सा चलाओ।।



मेहँदी भी है पिया की, चूड़ी भी है पिया की,

कुछ तो दिमाग खोलो, अपना भी कुछ बताओ।।



जीवन गया ये अपना, पानी के भाव बहकर,

अपना नहीं रुका पर, बेटी का तुम बचाओ।।



देते हो दूसरों को, उपदेश जिंदगी के,

कुछ तो करो शरम अब, खुद भी तो आजमाओ।।



छोडो मुहब्बतों को, जीना नहीं है आसां,

है… Continue

Added by sarita panthi on August 6, 2016 at 8:23am — 5 Comments

मोरे पिया

हाथों को मेरे तुम थाम लो

मेरा ही बस तुम नाम लो

कानों में अमृत रस घोलो

मैं सुनती रहूँ बस तुम बोलो|

 

केशों को मेरे तुम सहलाओ

बातों से मेरा जी बहलाओ

बादल तुम नेह के बरसाओ

नैनों में छिपा लूँ आ जाओ|

 

नज़रों से मुझे तुम पढ़ते रहो

नित स्वप्न सुरीले गढ़ते रहो

आगे ही आगे बढ़ते रहो

सोपान ह्रदय के चढ़ते रहो|

 

जीवन की मुझे तुम आस दो

नेह का अपने विश्वास दो

यौवन का मुझे मधुमास दो…

Continue

Added by sarita panthi on March 29, 2016 at 6:52pm — 5 Comments

परिवर्तन

बदल रहा समाज बदल रहा कल आज

बीच चौराहे आ जाती अक्सर घर को लाज

सामान्य से हो रहे विवाहेत्तर सम्बन्ध

धुंधले से पड़ गये, दिल के सब अनुबंध

हर किसी को चाहिए जरुरत से ज्यादा "मोर"

भौतिकता जागी है सारे बंधन तोड़

जितना मिले उतना जगे, ज्यादा पाने की आस

कम हो गयी सहनशीलता बढ़ गयी है प्यास

हर किसी को चाहिए अस्तित्व की खोज

कमजोर हो रहे है रिश्ते, दरक रहे है रोज

आया नया ज़माना है कुछ खोकर कुछ पाना…

Continue

Added by sarita panthi on December 21, 2014 at 8:02pm — 13 Comments

वो मेरा साथी मेरा सहारा मेरा दोस्त

मेरी खिड़की से दीखता है एक पेड़

उसका हाल भी मेरे जैसा ही है

ना जाने कब प्यार कर बैठे हम

जब भी खिड़की खोलती हूँ

उसे अपने इन्तजार में ही पाती हूँ

 

कोई तो है जिसे हर पल मेरा इन्तजार है

मेरा साथी मेरा सहारा मेरा दोस्त

एक अनजाना सा बंधन बंध गया है

हम दोनों के बीच में

हर पल मुझे ही निहारा करता है

 

जब भी उसके सामने से गुजरती हूँ

कहता है जल्दी आना

में तुम्हारा यही इन्तजार कर रहा हूँ

दिल खुश हो…

Continue

Added by sarita panthi on December 2, 2014 at 10:00am — 13 Comments

पानी और प्यास

पानी हमको पीना है

मिनरल या फिर फ़िल्टर

साफ़ पानी सुरक्षित पानी

खुद का बर्तन खुद का पानी||

 

पानी बड़ा या प्यास ?

विषय है ये बेहद ही ख़ास

प्यास है एक स्वाभाविक सी क्रिया

प्यास सभी को जगती है||

 

कभी मिल जाता पानी तो

कभी सूखे से तपती है

प्यास है तन के प्यास है मन की

प्यास आँखों की प्यास कुछ पाने की||

 

पानी चाहिए मीठा मीठा

हो तो फ़िल्टर या फिर मिनरल

प्यासा जब मरने को…

Continue

Added by sarita panthi on November 25, 2014 at 9:42am — 7 Comments

नये युग का प्रेम

स्त्री को चाह होने लगी स्त्री की

पुरुष कर रहा पुरुष से प्यार

कैसे तो ये संभव है

और कैसे हो जाता इकरार||

 

स्वभाविक सी अभिव्यक्ति है ?

या सामाजिक वर्जनाओं को तिरस्कृति है?

ईश्वर का तो नही रहा होगा ऐसा कोई अभिप्राय

प्यार के नये नये रूप देते दिल हिलाए||

 

स्त्री और पुरुष का अनमोल अनूठा जोड़

सृष्टि टिकी है इस रिश्ते पर कैसे कोई सकता तोड़

वासनाओं के दिख रहे नित नए ही रूप

इश्क हो रहा शर्मिंदा प्यार दिख रहा…

Continue

Added by sarita panthi on November 24, 2014 at 9:53am — 7 Comments

तुम्हारे नयन

छुपा ना सकोगे मेरी चाहत को

यूँ नजरें चुराने से

धडकता है दिल तुम्हारा

मेरे ही बहाने से

पलभर का ही साथ है

या पल दो पल की बात है

यूँ ही तो नही

तुमसे हुई मुलाकात है

धडकता है दिल मेरा

तेरी ही धड़कन से

मौन है सारे शब्द

बोलते नयन है नयन से

बहुत सम्हाला इस दिल को

पर होकर रहा बेकाबू

दिल के हाथों है मजबूर

जा नही सकते तुझसे दूर

जाने किससे हुई खता

जाने किसका है क़ुसूर

सरिता पन्थी…

Continue

Added by sarita panthi on November 14, 2014 at 8:30pm — 5 Comments

ठूँठ

ठूँठ  

था हराभरा मेरा संसार

खुशियाँ लगती थी मेरे द्वार

हरी हरी मेरी शाखायें

फूल पत्ते भरकर इठलाये||

 

मेरा जीवन उनसे था और

उन सब से ही में जीता था

छांव पथिक सुस्ता लेता था

थकन अपनी बिसरा देता था||

 

समय ने ऐसा खेल दिखाया

दूर हो गयी मेरी ही छाया

छोड़ गये सब मुझको मेरे

एक एक कर देर सबेरे||

 

कद मेरा यूँ हुआ बढ़ा

रह गया आज अकेला खड़ा

रूप…

Continue

Added by sarita panthi on November 12, 2014 at 7:49am — 10 Comments

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

बाहोँ के अपनी वो के हार दे दो

प्यार भरे सोलह श्रंगार दे दो||

खिल जाए बगिया वो बहार दे दो

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

 

भड़क जाये  शोले वो आग दे दो

नाचे मेरा मन वो राग दे दो||

बजे दिल में सरगम को साज दे दो

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

 

उड़ जाऊ तुम संग वो परवाज दे दो

कदमो तले तुम ये आकाश दे दो||

मर जाऊ तुम पे ये विश्वाश दे दो

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

 

हाथो का अपने वो…

Continue

Added by sarita panthi on November 6, 2014 at 9:00am — 7 Comments

दिल ये बेईमान सताता है.....................

दिल ये बेईमान सताता है

हर पल भटकना चाहता है

डोरी है प्यार की नाजुक सी

कच्ची है कह धमकाता है

हलकी सी भी हवा मिले तो 

हवा के संग बह जाता है



लग जाये ना गैरों की नजर

इस डर से छुपाकर रखा है

मैं लाख सम्हालूँ जतन करूँ

मुझको ही भ्रम दे जाता है



देखूं तो दुनिया…

Continue

Added by sarita panthi on November 2, 2014 at 10:00pm — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
23 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service