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नये युग का प्रेम

स्त्री को चाह होने लगी स्त्री की

पुरुष कर रहा पुरुष से प्यार

कैसे तो ये संभव है

और कैसे हो जाता इकरार||

 

स्वभाविक सी अभिव्यक्ति है ?

या सामाजिक वर्जनाओं को तिरस्कृति है?

ईश्वर का तो नही रहा होगा ऐसा कोई अभिप्राय

प्यार के नये नये रूप देते दिल हिलाए||

 

स्त्री और पुरुष का अनमोल अनूठा जोड़

सृष्टि टिकी है इस रिश्ते पर कैसे कोई सकता तोड़

वासनाओं के दिख रहे नित नए ही रूप

इश्क हो रहा शर्मिंदा प्यार दिख रहा कुरूप||

 

सृष्टि की रचना, करते नर और नारी

स्नेह उनका पड जाता जग पर हरदम भारी

अस्वाभाविक रिश्ते कुछ पल के मेहमान

जैसे आ जाता दूध में उफान||

 

युगों युगों तक अमर रहता नर नारी का प्यार

देता सन्देश जीवन का करता सृष्टि का सत्कार ||

 

 सरिता पन्थी "मौलिक व अप्रकाशित "

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Comment

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 26, 2014 at 12:25pm

आदरणीय वर्तमान के बदलते परिद्रिश्य् को दर्शाती और शास्वत प्रेम की सार्थकता को स्थापित करती इस शानदार रचना के लिए तहे दी बधाई सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on November 26, 2014 at 2:49am

विचारणीय विषय ,सुन्दर रचना ,बधाई आपको!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 25, 2014 at 4:41pm

सार्थक  अभिव्यक्ति  हुई है | चिंतन परक रचना  के  लिए  बधाई  

Comment by somesh kumar on November 24, 2014 at 9:02pm

जो लोग इस प्रकार के प्रेम में हैं उनके अपने तर्क अपनी भावनाएं हैं ,संत-महंत की तरह दुसरे की पसंद को अस्वीकारना ईश्वर की उस रचना को थोड़ा जानकर बहुत बघारने जैसा है ,जब डाक्टर और वैज्ञानिक भी प्रेम के ईस स्वरूप को नैसर्गिक मानते हैं तो ऐसे में हमें भी इन लोगों को स्वीकारना चाहिए |वैसे भी 

ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन 

जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन 

सुंदर रचना के लिए बधाई परंतु विनम्रता-पूर्वक आपके विचारों से असहमत

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 24, 2014 at 7:28pm

पंथी जी

नवीनता के आग्रही प्रकृति से करते है खिलवाड़

क्यों नहीं नाक से खाते वे कान से बोलते -----

Comment by Meena Pathak on November 24, 2014 at 1:59pm

सृष्टि की रचना, करते नर और नारी स्नेह उनका पड जाता जग पर हरदम भारी अस्वाभाविक रिश्ते कुछ पल के मेहमान जैसे आ जाता दूध में उफान||.....................सुन्दर रचना  ,,गम्भीर विषय 

Comment by shree suneel on November 24, 2014 at 12:22pm
Gambhir mudde pe roushni daali aapne. achchhi prastuti..

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