For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सड़क भी अब मुझसे तेज दौड़ती है

तुम

मेरी प्रतीक्षा करना

उस मोड़ पर

मुड जाता है जो

मेरे घर की ओर

मैं दौड़ कर पहुचुंगा

तब भी

जबकि मैं जानता हूँ

सड़क भी अब

मुझसे तेज दौड़ती है !!

मेरी आवाज़ सुन लेना

ग़र मैं पुकार न सकूं

मेरा दर्द महसूस करना

ग़र मैं कराह न सकूं !!

मैं इतना साहसी नहीं

छीन सकूं दुनिया से तुम्हें

इतना कमजोर भी नहीं 

की विद्रोह न कर सकूं

तुम्हे पाने के लिए

तुम

मेरी प्रतीक्षा करना

उस मोड़ पर

मुड जाता है जो

मेरे घर की ओर

मैं दौड़ कर पहुचुंगा

तब भी

जबकि मैं जानता हूँ

सड़क भी अब

मुझसे तेज दौड़ती है !! 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 629

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on November 13, 2014 at 9:29pm

प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 13, 2014 at 9:02pm

बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति ...बधाई आपको हरिप्रकाश जी .

Comment by Hari Prakash Dubey on November 13, 2014 at 12:26pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय श्री डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 13, 2014 at 11:24am

बेहतरीन  आदरणीय दुबे जी

सड़क भले आपसे तेज दौडती है  पर् रेस  में कछुआ  बाजी मार गया i

Comment by Hari Prakash Dubey on November 12, 2014 at 9:47pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय श्री सुनील जी ।

Comment by shree suneel on November 12, 2014 at 9:17pm
Shandaar rachanayen aapki taraf se aa rahin hain Hari prakash jee. Badhaiyaan..
Comment by Hari Prakash Dubey on November 12, 2014 at 7:24pm

आदरणीय श्री सुशील सरना  जीआपका हार्दिक आभार  

Comment by Sushil Sarna on November 12, 2014 at 7:05pm

बहुत ही सुंदर मनोभावों की रचना …हार्दिक बधाई आदरणीय 

Comment by Hari Prakash Dubey on November 12, 2014 at 12:50pm

आदरणीय विजय निकोर जी आपका हार्दिक आभार ,प्रणाम 

Comment by vijay nikore on November 12, 2014 at 12:43pm

इस अच्छी रचना के लिए बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने …"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"ठीक है आदरणीय योगराज जी । पोस्ट पर पाबन्दी पहली बार हुई है । मंच जैसा चाहे । बहरहाल भविष्य के लिए…"
10 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. सुशील सरना जी, कृपया 15-20 दोहे इकट्ठे डालकर पोस्ट किया करें, वह भी हफ्ते में एकाध बार. साईट में…"
10 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
18 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service