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आपकी ये खामुशी चुभती है नश्तर सी हमें

2122  2122   2122   २१२ 

 

आज ये महफ़िल सजाकर आप क्यूँ गुम हो गये

हमको महफ़िल में बुलाकर आप क्यूँ गुम हो गये

 

पोखरों को पार करना भी  न सीखा है अभी

सामने सागर दिखाकर आप क्यूँ गुम हो गये

 

लहरों से डरकर खड़े थे हम किनारों पर यहाँ

हौसला दिल में जगाकर आप क्यूँ गुम हो गये

 

तीरगी के साथ में तूफ़ान भी कितने यहाँ

इक दफा दीपक जलाकर आप क्यूँ गुम हो गये

 

आपकी ये खामुशी चुभती है नश्तर सी हमें

हमको यूं अपना बनाकर आप क्यूँ गुम हो गये

इक ज़माने बाद ओंठो पे मेरे मुस्कान थी 

मीत यूं  हमको रुलाकर आप क्यूँ गुम हो गये 

मौलिक व अप्रकाशित 

 

 

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Comment by Santlal Karun on September 27, 2014 at 8:35pm

आदरणीय आशुतोष मिश्र जी,

मार्मिक और हृदयतल तक उतरनेवाली ग़ज़ल  है  ये, हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ---

"आपकी ये खामुशी चुभती है नश्तर सी हमें

हमको यूं अपना बनाकर आप क्यूँ गुम हो गये"

Comment by vijay nikore on September 27, 2014 at 1:42pm

गज़ल अच्छी लगी। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 26, 2014 at 8:58am

बहुत खूब आदरणीय डॉ आशुतोष जी बेहतरीन ग़ज़ल बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 26, 2014 at 4:05am

आदरणीया राज जी ..आपकी इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से मैं बहुत उत्साहित हूँ .आप का प्रोत्साहन और मार्गदर्शन सतत मिलता रहे इसी कामना के साथ ..सादर प्रणाम के साथ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 25, 2014 at 8:22pm

पोखरों को पार करना भी  न सीखा है अभी

सामने सागर दिखाकर आप क्यूँ गुम हो गये----वाह्ह्ह्ह 

 

लहरों से डरकर खड़े थे हम किनारों पर यहाँ

हौसला दिल में जगाकर आप क्यूँ गुम हो गये-----बहुत सुन्दर 

आपकी ग़ज़ल बहुत पसंद आई सभी शेर काबिले तारीफ हैं दिली दाद कबूलिये आ० डॉ० आशुतोष जी 

 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 7:18pm

आदरणीय डॉ कँवर सर ...आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 7:18pm

आदरणीय विजय सर ..रचना आपको पसंद आयी इससे मुझे आत्मसंतोष मिला सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 7:17pm

आदरणीय गोपाल सर .आपकी प्रतिक्रिया से मुझे हमेशा ही नूतन उर्जा मिलती है .आपका मार्गदर्षन सतत मिलता रहे इसी कामना के साथ ..सादर प्रणाम करते हुए 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 7:14pm

आदरणीय नरेन्द्र जी .रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 7:13pm

आदरणीय हरिवल्लभ जी ..हौसला बढाती आपकी प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

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