For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१-

जहाँ अश्रु की बूँदें

रोने वालों के दुखों को,

दुखों की सान्ध्रता को

कम कर देती है

 

वहीं पर यही अश्रु बूँदें

रोने वालों से भावनाओं से जुड़े

उनके अपनों को

बेदम भी कर देती है

 

२-

संयत नहीं हो पाए अगर आप

अपने भाव के साथ

तो वही भाव,

कहे गये शब्दों के अर्थ बदल देता है

 

और वहीं

अगर आप सही नहीं समझ पाए शब्दों को

तो शब्द,

आपके चहरे से प्रकट

भावों के अर्थ बदल देता है

**************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 673

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on August 20, 2014 at 7:44pm

संयत नहीं हो पाए अगर आप

अपने भाव के साथ

तो वही भाव,

कहे गये शब्दों के अर्थ बदल देता है.......बहुत सही बात कहीं भैया आपने ......सादर नमस्ते

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 20, 2014 at 9:52am

क्षणिकाओं के माध्यम से अच्छा और सार्थक विचार मंथन हुआ है | बधाई स्वीकारे भाई श्री गिरिराज भंडारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2014 at 9:47pm

आदरणीया राजेश जी , सराहना के लिए आपका आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2014 at 9:46pm

आदरणीय जवाहर लाल भाई , रचना की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 19, 2014 at 9:29pm

दोनों ही क्षणिकाएँ सार्थक और बहुत अच्छी हैं आ० गिरिराज जी ,हार्दिक बधाई. 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2014 at 8:30pm

आदरणीय श्री गिरिराज जी, सादर अभिवादन!

मैं तो सिर्फ 'गजब' कहूँगा ..क्या खूब कहा है ...आपने सत्य को निरूपित करने का अंदाज ! शब्द और चेहरे के भाव!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 19, 2014 at 11:05am

आ०   भाई गिरिराज जी इन क्षणिकाओं के माध्यम से आपने जो कहा वह अनमोल है . हार्दिक बधाई स्वीकारें .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2014 at 7:53am

आदरणीय राम शिरोमणि भाई , आपका बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2014 at 7:52am

आदरणीया कल्पना जी , उत्साह वर्धन के लिए आपका बहुत शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2014 at 7:51am

आदरणीया मीना जी , सराहना के लिए आपका आभार |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
19 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service