For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुरेश रात-दिन कितनी भी शरीर-तोड़ मेहनत कर ले, अपनी पत्नि रजनी और दोनों बच्चों के खर्च के साथ-साथ मोबाईल, मोटर-साइकिल,मकान का किराया सब कुछ वहन नहीं कर सकता. अब पेट काटकर धीरे-धीरे अपना घर बनाना शुरू तो कर दिया पर कभी सीमेंट ख़त्म, तो कभी लोहा.

लेकिन.. जब से सुरेश से कहीं ज्यादा कमाने वाले मित्र, अशोक का उसके यहाँ आना-जाना शुरू हुआ है, तब से घर का काम दिन दोगुना -रात चौगुना चल रहा है. आजकल तो सुरेश अपने घर के बंद दरवाजे के बाहर अशोक के जूतों को देख, अपने नए बन रहे घर कि ओर चला जाता है..

     

जितेन्द्र 'गीत'

(मौलिक व् अप्रकाशित)  

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2014 at 10:47pm

रचना पर आपके आशीर्वाद हेतु आपका ह्रदय से आभार आदरणीय डा.गोपाल जी. वर्तमान को  प्रक्टिकल कहा जा सकता है.

सादर!

Comment by MAHIMA SHREE on August 4, 2014 at 9:25pm

बधाई आपको .. अपने सपनों और जरुरत को पूरा करने के लिए कैसे अपने संस्कार और नैतिकता को ताक पर जानबूझ कर रख देते है बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया आपने सादर 

Comment by Shubhranshu Pandey on August 4, 2014 at 4:09pm

आदरणीय जितेन्द्र जी, सुन्दर कथा.

जूतों के दरवाजे के बाहर की उपस्थिति, सुरेश के निम्न आत्म- बल का द्योतक है.

सादर.

 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 4, 2014 at 3:19pm

परम सनेही जितेन्द्र जी 

ऐसा होता है इसे नकारा नही जा सकता 

बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 4, 2014 at 12:19pm

जीतू भाई

बहुत प्रक्टिकल  कथा है i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 4, 2014 at 10:35am

इंसान सच में कहाँ तक गर्त में गिर सकता है कोई अय्याशी  के गर्त में तो कोई निर्धनता या लाचारी के गर्त में ,क्या दोस्त है जो मजबूरी का फायदा इस तरह उठा रहा है क्या पति है जो पत्नी को नए घर का सुख इस तरह देगा सच में ये लघु कथा बहुत  कुछ सोचने पर विवश करती है ,बहुत- बहुत बधाई जितेन्द्र गीत भैया.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2014 at 10:15am

आपका हार्दिक आभार आदरणीय विनय जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2014 at 10:15am

आपका हार्दिक आभार आदरणीय रमेश जी

सादर!

Comment by विनय कुमार on August 3, 2014 at 11:51pm

इंसान कहा तक गिर सकता है , बहुत अच्छी लघुकथा , बधाई..

Comment by रमेश कुमार चौहान on August 3, 2014 at 10:17pm

वाह रे लाचारी, यह कैसी विडंबना है । हां ऐसा भी होता है, आपके पैनी नजर को सलाम ‘गीत‘ भाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service