For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देखो ! न.. बेचारा नरेश बड़े शहर में नौकरी कर, अपनी पत्नि व् छोटे से बेटे के साथ-साथ गाँव में अपनी बूढी विधवा माँ और दो कुवांरे निकम्मे भाइयों का भी पालन करता रहा. उसने कई बार अपने दोनों भाइयो को काम-धंधे से लगवाया, किन्तु दोनों की मक्कारी और माँ के लाड़-प्यार  ने उन्हें हमेशा से कामचोर भी बना रखा था.

हाँ भाई ! अभी पिछले माह ही तो सड़क दुर्घटना में नरेश की मौत हुई थी और देखो तो बेचारे  नरेश की विधवा पत्नी और बेटे को घर से बाहर निकाल दिया, दोनों हरामी भाइयों ने. कम से कम ,माँ को तो रोकना था...

  

      जितेन्द्र ‘गीत’

 (मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 13, 2014 at 10:11pm

रचना के मर्म को आपने छुआ, आपका ह्रदय से आभार आदरणीया मीना दीदी.

सादर!

Comment by Meena Pathak on August 13, 2014 at 2:49pm

दिल को छूती हुई लघुकथा ..बहुत बहुत बधाई |सस्नेह

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 12, 2014 at 11:20pm

आपकी उत्साहवर्धक सराहना से बड़ा मनोबल मिला आदरणीय शुभ्रांशु जी. आपका ह्रदय से आभारी हूँ

सादर !

Comment by Shubhranshu Pandey on August 12, 2014 at 8:40pm

आदरणीय जितेन्द्र जी, 

कथा को आपने याथार्थ के साथ जोड़ कर और मार्मिक बना दिया है.

सुन्दर कथा. एक सुत्रधार की तरह आपने कथा कही है्. 

सादर.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 12, 2014 at 1:26pm

आदरणीया छाया जी. आपकी बधाई सहर्ष स्वीकार है, सराहना हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ .

यह लघुकथा मेरी अपने ही घर की है यहाँ जो पात्र नरेश है वो मेरे बहनोई है.  केन्द्रीय उत्पाद व् सीमा शुल्क में अधीक्षक के पद पर थे और एक सड़क दुर्घटना में शांत हो गये थे. अपने पीछे एक सात वर्षीय अस्थमा रोग से पीड़ित बेटा, तथा उनके मृत्यु के बाद दीदी जो कि मानसिक रूप से बीमार हो गई थी. किन्तु समय के  मलहम ने आज सब सामान्य तो कर दिया है बस दीदी से उनका सब कुछ छीन लिया और उनके बेटे से पिता कि छाँव . और मैंने अपना एक बहुत अच्छा बड़ा भाई खो दिया.

Comment by Chhaya Shukla on August 12, 2014 at 12:58pm

अगल-बगल की बात को कथा में पिरोया है आपने अति उत्तम तरीके से सादर बधाई स्वीकारें जीतेन्द्र "गीत" जी नमन !  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 12, 2014 at 12:38pm

आपकी बधाई सहर्ष स्वीकार है आदरणीय लक्ष्मण जी. आपका ह्रदय से आभार

सादर!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 12, 2014 at 12:00pm

आ० भाई जीतेन्द्र  जी ,   इस  बेहतरीन  सत्यकथा  पर  ढेरों बधाई .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 12, 2014 at 10:25am

रचना के मर्म को आपने छुआ, आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीया कल्पना दीदी. स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 12, 2014 at 10:23am

रचना पर आपकी सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीया सविता जी

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service