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ग़ज़ल- लोगों को ईद पर खुशी होगी।

चाँद की आँख में नमी होगी

लोगों को ईद पर खुशी होगी

 

चाँद हर रोज देखता है तुम्हें,

आपकी आज बेबसी  होगी

 

जिंदगी रोज खून से लथपथ,

आज कैसे ये जिंदगी होगी

 

गर्दनें काट कर दिखाते हो,

क्या खुशी फिर भी ईद की होगी

 

अन्ध-विश्वास से लडाई है,

अब लडाई ये रोकनी होगी 

 

छोड दो अपना-अपना कहना उसे,

इस तरह खत्म दुश्मनी होगी

 

आज इनसानियत है खतरे में,

क्या वजह है ये सोचनी होगी

 

इस तरफ ओट करके बैठे हो,

इस तरफ कैसे रोशनी होगी

 

छोड दो अपना कहना दुनिया को,

सारी दुनिया फिर आपकी होगी ।

………….सूबे सिंह सुजान..29.07.2014...

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

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Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:41pm

भुवन निस्तेज , जी आपकी मेहरबानी है साहब, शुक्रिया

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:39pm

 Madan Mohan saxena  , आपका हृदय से आभारी हूँ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:38pm

rajesh kumara , राजेश जी, ापकी टिप्पणी बहुत सराहनीय है। गल्तियओं को सुधार के लिये धन्यवाद ,बहुत सही कहा आपने व गिरिराज जी ने, आपकी आभारी हूँ। अब मैं इन शेरों को दुरूस्त करके फिर से यंही पर पोस्ट कर सकता हूं कया एडिट हो जाएगा।।

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:35pm

 gumnaam pithoragarhi ,   गुमनाम जी, आप तो बहुत नामी हो, आपने मेरी गजल पर अपनी नजरेइनायत की , बहुत बहुत शुक्रिया....

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:32pm

savitamishra , जी हृदय से आभारी हूं ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:31pm

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव ,     जी , आपका आभारी हूँ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:30pm

 गिरिराज भंडारी

जी आपकी बात सही है , जो दो शेर आपने बताये कि फिर से देखिये , बिल्कुल जो कहना चाह रहा था वो थोडी सी जल्दबाजी के कारण , कुछ उल्ट ही अर्थ प्रकट कर गये,

आपकी विशेष टिप्पणी के लिये मैं हृदय से आभारी हूँ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:27pm

 Dr Ashutosh Mishra,

जी आपको गजल अच्छी लगी तहे दिल से शुक्रिया

Comment by भुवन निस्तेज on July 31, 2014 at 10:50pm

इस हसीं गज़ल के लिए दाद कबूल फरमाएं आदरणीय....

Comment by Madan Mohan saxena on July 31, 2014 at 12:27pm

चाँद हर रोज देखता है तुम्हें,
आपकी आज बेबसी होगी

बहुत खुबसूरत गजल ,बधाई आपको

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