For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निराशा की ऊँची लहरों

और आशा के सपाट प्रवाह के बीच

मन हिचकोले खा रहा है

कभी निराशा अपने पाश में बाँध कर खींच ले जाये

कभी आशाएँ

मुझे ले जाकर किनारे पहुँचा दें

कभी सोचता हूँ

बह चलूँ लहरों के साथ

कभी लगे

बाहर आ जाऊँ इस गर्दिश से

 

ये किस मुकाम पर हूँ

ये कौन सा मोड़ है

पल-पल उठती रौशनी भी

भ्रमित कर दे कुछ देर को

कि रास्ता बदल लूँ

या चलता रहूँ

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 543

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 20, 2014 at 10:53am

आदरणीय शिज्जु भाई , दो राहे पर खड़े मन की स्थिति को बहुत सुन्दर शब्द दिये हैं ॥ आपको बधाइयाँ ॥

Comment by Santlal Karun on July 20, 2014 at 7:40am

आदरणीय शिज्जु शकूर जी,

आशा-निराशा,लक्ष्य-दिग्भ्रम की मानवीय संवेदनात्मक पर उत्कृष्ट कविता; हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

Comment by kalpna mishra bajpai on July 18, 2014 at 10:18pm

शिज्जु जी बहुत सुंदर गजल लिखते हैं आप । बहुत बधाई 

Comment by वेदिका on July 18, 2014 at 11:41am
क्या बात है शिज्जू जी! गजल में तो आप माहिर थे ही, अतुकांत में भी आपने लोहा मनवा लिया। बहुत खूब रचना हुयी है। सुन्दर रचना के अंत के शब्द और भाव चयन को लेकर तो अद्भुत कमाल सृजित किया।
बधाइयाँ!!
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 17, 2014 at 11:31pm

सच कहा आपने आदरणीय शिज्जू जी, इंसान के जीवन में कई उतार-चढाव आते है जहाँ आशा व् निराशा दोनों दिखने लगती है उस समय शायद यही सब कुछ होता है. रचना पर आपको बहुत-२ बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 17, 2014 at 9:51pm

आशा और निराशा के बीच जूझती रहती है जिन्दगी ,इनके बीच ही जीना है जिसने इनको महसूस करना छोड़ दिया वो सच्चा संत बन गया|अपने मन की उलझन को बहुत सुन्दरता से लिखा है |बहुत- बहुत बधाई इस रचना के लिए  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 17, 2014 at 9:40pm

आदरणीय ज़ैफ़ साहब आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 17, 2014 at 9:39pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर आपका हार्दिक आभार

Comment by Zaif on July 17, 2014 at 5:06pm
Nice sir ji.
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 17, 2014 at 4:10pm

प्रिय शिज्जू जी

क्या बात है ?

मै  इधर   जाऊ   या   उधर  जाऊ  i

बड़ी मुश्किल में हू मै  किधर जाऊ ?

अतुकांत में भी छा गए दोस्त i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
1 hour ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service