For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1212 22/112

हो किसी बात पर यकीं यारो

हौसला दिल में अब नहीं यारो

 

इक दफ़ा शोरे इन्क़िलाब उठा

दब गई फिर सदा वहीं यारो

 

काफिले रौशनी के दूर हुए

छुप गया चाँद भी कहीं यारो

 

दिल सुलगता है मेरा रह-रह के

बैठे चुपचाप हमनशीं यारो

 

आबले पड़ गये हैं पैरों में

गर्म होने लगी ज़मीं यारो

 

आइने का बिगड़ता क्या लेकिन

तर हुई खूँ से ये ज़बीं यारो

 

मेरा महबूब बनके इस ग़म ने

हैं भिगोए ये आस्तीं यारो

 

आबले = छाले

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 695

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 17, 2014 at 9:33pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 17, 2014 at 9:33pm

आदरणीय सुशील सरना सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 17, 2014 at 9:32pm

आदरणीय गिरिराज सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 17, 2014 at 9:32pm

आदरणीय नरेन्द्र सिंह जी आपका हार्दिक आभार

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 17, 2014 at 9:10pm

हो किसी बात पर यकीं यारो

हौसला दिल में अब नहीं यारो

मेरा महबूब बनके इस ग़म ने

हैं भिगोए ये आस्तीं यारो

बहुत खूब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by mrs manjari pandey on July 17, 2014 at 7:50pm
आदरणीय शिज्जू शकूर जी आप जैसे लोगों की ग़ज़ल पढ़ कर अच्छा लगता है.
हो किसी बात पर यकीं यारो
हौसला दिल में अब नहीं यारो

इक दफ़ा शोरे इन्क़िलाब उठा
दब गई फिर सदा वहीं यारो
Comment by Zaif on July 17, 2014 at 6:15pm
उम्दा सर जी। बधाइयाँ !!
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 17, 2014 at 3:30pm

हो किसी बात पर यकीं यारो

हौसला दिल में अब नहीं यारो

 

इक दफ़ा शोरे इन्क़िलाब उठा

दब गई फिर सदा वहीं यारो

 सुभान अल्लाह i शिज्जू भाई  i आप उन चंद  शायरों  में से  है जिनका नाम ही गजल पढने पर आमादा करता है i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 16, 2014 at 9:23pm

आबले पड़ गये हैं पैरों में

गर्म होने लगी ज़मीं यारो..............बहुत ही खुबसूरत शेर, दिल को छू गया. दिली बधाइयाँ लीजिये आदरणीय शिज्जू जी

Comment by Sushil Sarna on July 16, 2014 at 7:27pm

हो किसी बात पर यकीं यारो
हौसला दिल में अब नहीं यारो

इक दफ़ा शोरे इन्क़िलाब उठा
दब गई फिर सदा वहीं यारो

वाह वाह वाह क्या बात है आदरणीय शिज्जु शकूर भाई .... मजा आ गया .... इस दिलकश अहसासों की ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service