For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सदा सुहागन (लघुकथा) रवि प्रभाकर

“बहन ! ये औरतें गठड़ियों में क्या ले जा रही हैं ?”
”विधवा औरतों के लिए कैंप लगा है, वहां उन्हें महीने भर का राशन बांटा जा रहा है।”
पिछले तीन दिन से भूखी सुखिया ने नशे में धुत्त लेटे अपने पति को ऐसे देखा मानो आज  उसे अपने “सुहागन” होने पर पछतावा हो रहा था.

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 11, 2014 at 12:21am

सुखिया की आँखों से उफनता निठल्ले पति के लिए तिरस्कार को जिन शब्दों में बाँधा गया है उसके लिए संवेदनशील हृदय चाहिये.

इस सफल लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई भाईजी.

इसके साथ ही, आदरणीय़ शरदिन्दु जी ने बहुत ही मार्के की बात उठायी है. इसका अवश्य संज्ञान में लें.

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on July 10, 2014 at 1:33am
एक अच्छी लघुकथा....लेकिन....एक प्रश्न उठता है मन में. यह रचना मौलिक और अप्रकाशित है ऐसी घोषणा नहीं की गयी है. क्या रचनाओं को पोस्ट करने के नियम में फेर-बदल हुआ है? - शरदिंदु
Comment by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2014 at 5:15pm

वाह आदरणीय सुखिया मौन रहकर भी कितना कुछ कह रही है, बेहतरीन लघुकथा हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Shubhranshu Pandey on July 6, 2014 at 4:02pm

आदरणीय रवि जी, 

सुखिया के दुःख को बडे़ मर्मिक ढंग से उकेरा है...बधाई.

सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 6, 2014 at 12:37pm

रवी जी 

आपने सुन्दर लोक कथा  बुनी है i शिल्प बहुत अच्छा हैi

Comment by विनय कुमार on July 6, 2014 at 12:24am

बेहतरीन लिखा है आपने , साधुवाद..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 5, 2014 at 10:12pm

सच ही है ऐसे पति से , पति का न होना बेहतर. बहुत बढ़िया लघुकथा आदरणीय रवि जी हार्दिक बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 5, 2014 at 7:14pm

सच ये लघु कथा अन्दर तक झिंझोड़ देती है ...अपना सन्देश छोड़ने में कामयाब लघु कथा बहुत बढ़िया |आपको बधाई आ० रवि प्रभाकर जी |

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 5, 2014 at 4:35pm

kuchh log gaali hote hain jeewan ke liye ,,,,,,,,,,,,,,,, achhhi lagi,,,,,,,,,,,, badhai..............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
7 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service