For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

जब यादों की शबनम रोती है   

तब सारी शब नम सी होती है


मेरी परवाह करे क्यों दुनिया
ज़ख्मो पर वाह सदा होती है

जगमग देखी जो मेरी दुनिया
जग मग में खार पिरोती हैं

प्रिय तम में उसको छोड़ गया
वो प्रियतम की खातिर रोती है

मूसा फिर आये राह दिखाने

राह मुसाफिर  की आंसा होती 


मौलिक व अप्रकाशित

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 4, 2014 at 9:59pm

aabhari hooon ki aapko rachna pasand aai.......................

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 4, 2014 at 2:02pm

राह मुसाफिर  की आंसा होती  .....है गलती वश छूट गया है ..राह के प्रयोग के कारण bhr

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 4, 2014 at 1:30pm

शब्दों की जादूगरी ...कमाल की इस रचना के लिए ढेरों बधाई स्वीकार करें सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 4, 2014 at 11:48am

आ. गुमनाम भाई , ग़ज़ल मे शब्दों से खेलना अच्छा लगा !! बधाइयाँ ॥

Comment by mrs manjari pandey on July 3, 2014 at 8:53pm
जब यादों की शबनम रोती है
तब सारी शब नम सी होती है

आदरणीय गुमनाम जी रूई के फाहे सी भीगी ग़ज़ल अच्छी लगी
Comment by Tilak Raj Kapoor on July 3, 2014 at 1:24pm

शब्‍दों का अच्‍छा प्रयोग है। 

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 2, 2014 at 4:02pm

dhanywaad dosto apka sahayog prerana deta hai,,,,,,,,,,,,

Comment by Ravi Prabhakar on July 2, 2014 at 1:54pm

कहते है कि ‘गुमनाम’ का है अंदाजे बयां और ही.......

Comment by savitamishra on July 2, 2014 at 10:21am

बहुत बहुत सुन्दर ..सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 2, 2014 at 8:50am

अलग अंदाज़ में कही गई गज़ल है बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service