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समस्या में समाधान- डा० विजय शंकर

समस्या है ,
समाधान हो जाएगा .
आओ समाधान ढूंढते है ,
कोई न कोई हल मिल जाएगा.
समस्या पुरानी है , जटिल है ,
जड़ से उखाड़ कर फेंक देते हैं .
सुझाव है , विचार करेंगें , पर
इतना क्रूर काम क्यों करेंगें .
समस्या से बात करतें हैं ,
बुलाते हैं , मुलाक़ात करतें हैं .
बुलाया , वो आयी.
अरे ये तुम , ये तो कुछ नहीं ,
ये तो ये है , ये तो वो है ,
ऊंह ! हमीं तो लाये थे इसे .
अरे न न न न ना , चिंता न करो ,
तुम्हारा कोई बाल बांका नहीं होगा .
हम हैं न , तुम्हारी रक्षा करेंगें .
समस्या को अभयदान मिल गया ,
समाधान कूड़ेदान में गया .
वहां से उबरे तो मुखातिब हुए
उन्होंने समझाया , देखो निदान है .
समस्या का तो नहीं, कोई समाधान है .
हम समस्या में समाधान ढूंढ़ेंगें ,
समस्या भी रहेगी , समाधान भी रहेगा .
लोग मिलते जुलते रहेंगें आपस में ,
सब काम होता रहेगा.
सब काम होता रहेगा.


मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 4:00am

आपने मेरे कहे को इतना मान दिया, सादर धन्यवाद आदरणीय विजयशंकरजी.

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 7, 2014 at 3:53am
कभी कभी कोई बात कुछ अस्पष्ट ही रहती है तो असर अधिक व्यापक करती करती है, उसका क्षेत्र व्यापक रहता है और वह भिन्न भिन्न जगह अपना स्थान बना लेती है . बहुत स्पष्ट बात सीमित अर्थो में ही रह जाती है .
हाँ , आपके के विचारों का सादर स्वागत है और उन पर अमल भी किया जाएगा।
आपकी बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 3:23am

विचार तत्त्व कथ्य में इन्फ्यूज कर रहे हैं तो कथ्य को और कसने का प्रयास करें, आदरणीय विजय शंकरजी.

अपने विचारों को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 6, 2014 at 1:47am
आदरणीय डॉ o प्राची सिंह जी ,
हम समस्याओं से संघर्ष करते हैं क्या ? या धीरे धीरे समस्याओं के लिए ही संघर्ष करने नहीं लग जाते हैं क्योंकि हम से कई लोग उन्हीं समस्याओं पर आश्रित हो जाते हैं। समस्या समाधोनों के लिए जो कानून बनते हैं वे ही सर्वोच्च स्तर पर दम तोड़ने लगते हैं। गजब हैं।
आपको पंक्तियाँ अच्छी लगी , अच्छा लगा। बधाई के लिए धन्यवाद ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 3, 2014 at 3:58pm

समस्या जितनी बड़ी... समाधान को करने में फायदा भी उतना ही बड़ा... बेहतर है ना समस्या का भी अनवरत रहना और समाधानों का भी साथ ही साथ चलते रहना 

आज की परिस्थितियों पर ज़बरदस्त कटाक्ष 

प्रस्तुति पर बधाई आ० डॉ० विजय शंकर जी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 27, 2014 at 10:50pm
आदरणीय डॉ o आशुतोष मिश्रा , बहुत बहुत सादर धन्यवाद ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 27, 2014 at 1:17pm

समस्या और समाधान पर आपके इस शानदार चिंतन के लिए तहे दिल बधाई सदर

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 27, 2014 at 9:48am
प्रिय जितेंद्र जी , पंक्तियों पर आपकी बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद । आपकी इस बात से कौन इंकार कर सकता है कि ऐसी कोई समस्या नहीं होती जिसका समाधान न हो , मैंने जीवन इसी आदर्श और धारणा के साथ जिया है , लोगों को भी यही सलाह देता हूँ , मनोबल भी लोगों का बढ़ाता हूँ । पर कविता में जिनका जिक्र है वो समस्या में ही लाभ ढूंढ लेते हैं , इसलिए दूसरों के लिए समस्या में ही समाधान सुझाते हैं । वो कहते हैं , there is somebody's will in every evil , that is why evils survive .
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 27, 2014 at 9:34am
आदरणीय गिरिराज जी, बहुत सोचता हूँ फिर भी ऐसी कोई समस्या नज़र नहीं आती जिसका हमने समूल उन्मूलन कर समाधान कर दिया हो , हाँ समझौता हम अवश्य हर समस्या से किसी भी स्तर तक जाकर कर लेते हैं। यही कारण है कि हमारे तथाकथित समाधान भी खुछ ही समय में स्वयं समस्या बन जाते हैं। बहुत से उदाहरण हैं , कभी उन पर भी लिखूंगा , व्यंग के रूप में । फिलहाल तो रचना को स्वीकार कर लेनें के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 26, 2014 at 11:33pm

शायद ऐसी कोई समस्या ही नही है जिसका समाधान न हो, किन्तु आप का अनुभव भी लाजवाब है आदरणीय डा.विजय जी. समस्या भी रहेंगी समाधान भी रहेगा और इसी उधेड़बुन में जीवन अनवरत.........बहुत बहुत बधाई आपको

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