For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 (१)
पिसते  हरदम  ही  रहे , मन  में  पाले टीस
तुझको भी मौका मिला, तू भी ले अब पीस
तू  भी  ले  अब  पीस , बना कर खा ले रोटी
हम  चालों   के  बीच , सदा चौसर की गोटी
पूछ   रहा  विश्वास , कहाँ बदला   है मौसम
घुन  गेहूँ  के  साथ , रहे  हैं   पिसते  हरदम ||

(२)
बिल्ली  है  सम्मुख  खड़ी , घंटी  बाँधे कौन
एक  अदद  इस  प्रश्न  पर ,  सारे  चूहे  मौन
सारे   चूहे   मौन   ,  घंटियाँ   शंख   बजाते
मजबूरी   में   नित्य  ,  आरती   सारे  गाते
लिया  सभी  ने  जान , दूर काफी है दिल्ली
घंटी  बाँधे  कौन , खड़ी  सम्मुख  है बिल्ली ||

(मौलिक और अप्रकाशित)

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

Views: 572

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 2:07am

भाई जी दो छन्द में, उचित कहे हैं बात
दिन ही में सपने दिखें, फिर क्यों जोहें रात
फिर क्यों जोहें रात, कमर कसना ही जीवन
भूल गये यह कथ्य, उधड़ती दीखी सीवन
उस पर दिल्ली मोह, बढ़ाने लगती खाई
संकेतों  में   कथ्य,   बधाई  मेरे   भाई

इन प्रासंगिक छन्दों के लिए दिल से बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ, आदरणीय अरुणभाईजी.
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 30, 2014 at 7:54pm

आदरणीय अरुण निगम जी 

पूछ   रहा  विश्वास , कहाँ बदला   है मौसम ..............बहुत ही सार्थक प्रश्न 
घुन  गेहूँ  के  साथ , रहे  हैं   पिसते  हरदम ||

दूसरी कुण्डलिया की भी सहजता प्रभावित करती है

हार्दिक बधाई 

सादर.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 25, 2014 at 11:44am

कुंडलियों में इशारा साफ़ है 

दो पाटों के बीच पिसनेवाले

हम और आप हैं ..सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 24, 2014 at 4:39pm

आदरणीय अरुण भाई , बहुत दूर से निशाना लगाया है आपने और वो भी सटीक , अलग अलग दो सचाइयों पर बढ़िया व्यंग्य ! आपको दिली बधाइयाँ , दोनो कुंडलियों के लिये ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 23, 2014 at 7:30pm

निगम जी नयी और पुरानी दोनों हीकुंडलिया आपने प्रस्तुत की i अभिव्यक्ति अच्छी है i  लडीवाला जी बहुत दिनों से कुण्डलिया ही लिखते आ रहे है उनका अनुमोदन आपको प्राप्त ही  है i आपको बधाई i

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 23, 2014 at 12:10pm

 सुन्दर कुण्डलिया छंद रची है | वाह ! बहुत बहुत बधाई भाई श्री अरुण कुमार निगम जी -

चोसर की गोटी सदा, हम चालो की बीच

पकड़ न पाए चाल को,लेता सर को भीच 

लेता सर को भीच, तभी प्रभु को याद करे 

जब भी हो कोशिश, तभी प्रभु को भान रहे

दिया कर्म सन्देश,  जिसे भी लेना अवसर  

करे सतत अभ्यास, तभी जीते वह चोसर ||- लक्ष्मण 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
18 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service