For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल – द्रौपदी नोच डाली गयी घर से सीता निकाली गयी (अभिनव अरुण)

ग़ज़ल –
फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन
२१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२

द्रौपदी नोच डाली गयी घर से सीता निकाली गयी |
आज या कल के उस दौर में मैं कहाँ कब संभाली गयी |

सब्र तक मुझको मोहलत मिली कब कली अपनी मर्ज़ी खिली ,
एक सिक्का निकाला गया मेरी इज्ज़त उछाली गयी |

लड़का लूला या लंगड़ा हुआ गूंगा बहरा या काला हुआ ,
मुझसे पूछा बताया नहीं सबको मैं ही दिखा ली गयी |

दौर कैसा अजब आ गया एक सबको नशा छा गया ,
सब हैं पैसे के पीछे गए सबकी होली दिवाली गयी |

है न चौकी पुलिस की जहां चाय पीते रहे तुम वहाँ ,
एक काली सफारी रुकी एक लड़की उठा ली गयी |

दिन में जो थी बरामद हुई रात भर थाने में वो रही ,
रात भर जांच उसकी हुई तुमने सोचा बचा ली गयी |

चार कसमों की बाते हुईं चार वादों की रातें हुई ,
चार तोह्फ़े दिखाए गए इस तरह वो मना ली गयी |

बाप की सांस टूटी ही थी माँ को बंधक बनाया गया ,
फिर अंगूठा लगाया गया फिर वसीयत बना ली गयी |

अपने सारे पराये हुए लोग भाड़े के लाये हुए ,
मौत तनहाइयों में हुई और रोने रुदाली गयी |


* मौलिक एवं अप्रकाशित

- अभिनव अरुण

Views: 920

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on June 13, 2014 at 11:15am
आदरणीया अन्नपूर्णा जी एवं आदरणीया मीना जी रचना के अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार आपका , अभिवादन , सादर !!
Comment by Meena Pathak on June 12, 2014 at 9:54pm

आज के समाज का चेहरा आपने अपनी रचना के माध्यम से उजागर किया ... बेहतरीन गजल हुई .. बहुत बहुत बधाई 

Comment by annapurna bajpai on June 12, 2014 at 7:35pm

समाज के विकृत रूप को उजागर किया है आपने आ0 अभिनव अरुण जी । शानदार गजल हेतु बधाई स्वीकरें । 

Comment by Abhinav Arun on June 12, 2014 at 6:40pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी , आदरणीय श्री लक्ष्मण धामी जी एवं आदरणीय श्री गिरिराज भंडारी जी आभार आप सबका मेरा लेखकीय उत्साह बढाने के लिए बेहतर की कोशिश जारी रहेगी !!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 12, 2014 at 6:05pm

आदरणीय अभिनव भाई , महिलाओं की स्थिति पर बहुत खूबसूरत गज़ल कही है , बधाइयाँ ॥

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 12, 2014 at 11:02am

आदरणीय भाई  अभिनव अरुण जी महिलाओं की स्थिति पर बहुत ही सशक्त ग़ज़ल कही l इस समसामयिक ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई l


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 12, 2014 at 10:00am

रोंगटे खड़े हो गए इस ग़ज़ल को पढ़ कर ,समाज के घ्रणित मानसिकता वालों का चेहरा दिखाती हुई सामयिक ग़ज़ल लिखी है आपने| ,कैसी विडम्बना है या दुर्भाग्य कहिये कि हमारे देश में ऐसे अशआर बनाने पड़ रहे हैं दिली दाद कबूलें  अभिनव अरुण जी|   

Comment by Abhinav Arun on June 12, 2014 at 9:48am
हार्दिक आभार आदरणीय श्री डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , आपके शब्द मेरे संबल हैं , आगे और बेहतर कहने का प्रयास होगा !
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 11, 2014 at 7:37pm

अभिनव अरुण जी

आपकी गजल में लघु कथा छिपी हुयी है  और जैसा मार्मिक व्यंग लघु कथा में होता हा उस्सेभी मार्मिक इस गजल में है क्योंकि कविता या गजल की संप्रेषणीयता  सदैव अधिक होती है i बहुत सुन्दर i

Comment by Abhinav Arun on June 11, 2014 at 5:43pm
आदरणीय श्री जितेन्द्र गीत जी एवं श्री नरेन्द्र सिंह चौहान जी प्रोत्साहन का शुक्रिया !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service